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इन दो औरतों का लगा उद्धव को श्राप! जेल भेजा, घर तोड़ा…अब अपना घर बचाने की नौबत

नयी दिल्ली : महाराष्ट्र सीएम उद्धव ठाकरे की कुर्सी जानी अब तय है। उनके द्वारा बुलाई गई शिवसेना की बैठक में महज 12 एमएलए ही पहुंचे। इससे जाहिर हो गया कि उनके 43 विधायक बागी हो चुके हैं और वे गुवाहाटी में बगावती गुट के मुखिया एकनाथ शिंदे के साथ हैं। इसबीच महाराष्ट्र में एक चर्चा बहुत जोरों से चल रही है कि शायद उद्धव ठाकरे को हिंदुत्व रुझान वाली उन दो औरतों का श्राप लगा हैं जिनमें से एक को तो उन्होंने हनुमान चालिसा विवाद में जेल भेजा था, जबकि दूसरी का घर तोड़वा दिया था। लोग कह रहे हैं कि इन्हीं के श्राप से अब उद्धव को अपने घर ‘शिवसेना’ से बाहर होने की नौबत आ गई।

कंगना का घर तोड़ा, अब अपना घर बचाने की नौबत

हम बात कर रहे हैं फिल्म अभिनेत्री कंगना रानौत और निर्दलीय सांसद नवनीत राणा की। इन दोनों के खिलाफ उद्धव ठाकरे की सरकार ने अलग-अलग आरोप लगाकर कार्रवाई की थी। कंगना रानौत अक्सर ट्वीट कर विभिन्न राजनीति—सामाजिक मुद्दों पर अपनी राय बेबाकी से रखती रही हैं। ऐसे ही कुछ ट्वीट और बयानों में उन्होंने महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार की आलोचना की थी जिसके बाद उद्धव उनसे काफी नाराज हो गए। आरोप लगे कि इसी राजनीतिक और वैचारिक अदावत के चलते उद्धव ठाकरे की सरकार ने मुंबई में उनका घर गिरा दिया था।

हनुमान चालीसा विवाद और सांसद नवनीत राणा

अब बात करते हैं निर्दलीय सांसद नवनीत राणा की। सांसद नवनीत राणा ने लउडस्पीकर विवाद में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आवास के बाहर हनुमान चालीसा पाठ करने का ऐलान किया था। उन्हें रोकने के लिए उद्धव ने नवनीत राणा और उनके विधायक पति को गिरफ्तार करवा लिया और जेल भेज दिया। इसी के बाद नवनीत राणा ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ अभियान छेड़ दिया। नवनीत ने उद्धव पर हिंदुत्व के एजेंडे को दरकिनार करने का आरोप भी लगाया और कहा कि कुर्सी के लिए उन्होंने बालासाहेब के विचारों को छोड़ दिया।

बागी विधायकों का बाल ठाकरे वाला हिंदुत्व कार्ड

पर अब यही आरोप लगाते हुए शिवसेना के करीब 39-43 विधायकों ने विद्रोह कर दिया है। बागी गुट के मुखिया एकनाथ शिंदे ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने बालासाहेब के सिद्धांतों से विश्वासघात कर कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिला लिया। ये दोनों पार्टियां बालासाहेब की धूर विरोधी रही हैं। उद्धव ठाकरे ने महत कुर्सी के लिए बालासाहेब के हिंदुत्व को छोड़ एनसीपी और कांग्रेस के एजेंडे को अपनाया है।