गया : नगर की दक्षिणी सीमा पर स्थित ब्रह्मयोनि पहाड़ियों पर आज सुबह कतिपय शरारती तत्वों ने आग लगा दी है। सूखे होने से झाड़ियाँ धू-धू कर जल रही हैं और बचे खुचे पेड़ों को भी झुलसा दे रही हैं। जिनसे उनका काटना आसान हो जाए। प्रायः प्रत्येक वर्ष अपराधियों द्वारा यह किया जाता है, जिससे हरियाली समाप्त होती जा रही है।
इसके कारण जंगली पौधों के जो बीज मिट्टी में गिर जाते हैं और अगले वर्ष वर्षा ऋतु में अंकुर कर नये पौधे बनते हैं वो जल जा रहे हैं। वर्षा ऋतु में सारी मिट्टी बह कर अपने पीछे कंकड़ पत्थर छोड़ जाती है। होली में अगजा के नाम पर झाड़ियों को जलाने के षड्यंत्र होते रहे हैं, जो इस वर्ष वन विभाग की चौकसी से नहीं हुआ ।
ब्रहमयोनि पर्यावरण क्लब के संस्थापक और मुंगेर विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति प्रो रणजीत वर्मा बताते हैं कि सिंगरास्थान से मंगलागौरी के पहाड़ी रास्ते ही नहीं, अपितु मंगलागौरी की ओर के ढलान कंकड़ पत्थर में तब्दील हो चुके हैं। अब पहाड़ी की उत्तरी ढलान पर ख़तरे हैं। पिछली बरसात में सिंगरास्थान तालाब के उत्तर भूस्खलन से एक बड़ा चट्टान नीचे सड़क पर आकर गिरा, जो अभी भी वहीं पर फँसा है। इस तरह की आगजनी से भू जल सूखता है, जल स्तर नीचे जाता है और उपर से चट्टानों के खिसकने का भय उत्पन्न हो रहा है।