Swatva Samachar

Information, Intellect & Integrity

Featured पटना बिहार अपडेट स्वास्थ्य

मन में चिंता—मन से रोग, मन ही दवा, मन से भोग

पटना : संसार में जितने भी रोग हैं उनका सीधा संबंध हमारे मन से है। कई वैज्ञानिक शोधों में ये बात उभरकर आई है कि चिंता, तनाव और डिप्रेशन के चलते ही अधिकांश बीमारियां होती हैं। पुरानी भारतीय चिकित्सा पद्धति में प्राचीन काल में रोगी के मन, उसके चिंतन और उसकी अवस्था पर ध्यान दिया जाता था। इसके बाद उनका उपचार किया जाता था। यह बहुत पुरानी पद्धति है। आज हम इसको भूल गए हैं। सिर्फ दवाई खाकर रोगों को ठीक करना चाहते हैं जो कि गलत है। नेशनल एक्यूप्रेशर एसोसिएशन और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन एंड रिसर्च सेन्टर, पटना के तत्वाधान में पटना के महाराजा कॉम्प्लेक्स में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। नेशनल एक्यूप्रेशर एसोसिएशन के विकास सिंह ने कहा कि जितने भी रोग होते हैं सबका संबंध हमारे मन से होता है। हमारे इमोशन और चिंता से होता है। थायराइड, शुगर सहित दर्जनों बीमारियां हैं जिनका सीधा संबंध हमारे मन से है। विकास सिंह ने आगे बताया कि एक उम्र के बाद हार्मोनल चेंज होता है। ये एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि जब आपकी उम्र अधिक हो जाती है तो अपने परिवार को लेकर, आर्थिक आय को लेकर चिंतित होना स्वाभाविक है। इसके अलावे भी कई तरह की चिंता और तनाव हमें होने लगते हैं। धीरे-धीरे इसका असर शरीर पर होने लगता है और हम रोगों के शिकार होने लगते हैं। ऐसे में हमारे स्माइल फाउंडेशन के द्वारा यहां आए हुए लोगों को खुश रहने और अच्छा जीवन जीने के बारे में बताया जायगा। विकास ने इसी पर आगे कहा कि हम सब व्रत-उपवास करते हैं। अच्छा स्वास्थ्य पाने के लिए, हमलोग एक दिन गुस्सा न करने का भी व्रत कर सकते हैं कि जिन जिन बातों को लेकर गुस्सा आता है उस दिन उस पर गुस्सा नहीं करेंगे। उसी तरह से शरीर के अंगों को भी सप्ताह में एक दिन आराम पहुंचाएंगे। चेस्ट, पैंक्रियाज आदि का अपना फंक्शन होता है। जिन चीज़ों से या नियमों से इन अंगो को आराम पहुंचे उस दिन वही काम रूटीन में शामिल करेंगे। दिल्ली से आई डॉ भूपिंदर कौर ने कहा कि आधुनिक जीवनशैली और खान-पान के चलते हम आराम—तलबी हो गए हैं और शारीरिक रूप से निष्क्रिय होते जा रहे हैं। नतीज़तन कई गंभीर बीमारियों के शिकार होते जा रहे हैं। लेकिन स्माइल मेडिटेशन से हम कई रोगों को समाप्त कर सकते हैं।
मानस दुबे