बेटे की जुबानी, एक साधारण माँ की असाधारण कहानी
बचपन से आज तक जब कभी भी निराश हुआ, माँ ने दिया हौसला। मुझे आज भी याद है, हमारे घर से विद्यालय थोड़ी दूर पड़ता था और रास्ते में एक पागल रहता था जिससे मुझे काफी डर लगता था। मैं…
घर के अंदर ही माँ पूरी पाठशाला है : डॉ. कृष्ण
“घर के अंदर ही माँ पूरी पाठशाला है”। उक्त पंक्तियां जानेमाने साहित्य मर्मज्ञ डॉ. नीरज कृष्णा जी ने साहित्यिक संस्था लेख्य मंजूषा, पटना के त्रैमासिक कार्यक्रम “मातृ दिवस: हर पल नमन” के अवसर में कही। अपने व्यक्तव में डॉ. नीरज…