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लेख्य मंजूषा: ‘पान का दाम’ का प्रदर्शन, पत्रिका साहित्यक स्पंदन व पुस्तक ‘भाग लें…’ का विमोचन

पटना: साहित्यक संस्था लेख्य-मंजूषा के छठे वार्षिकोत्सव और आठरवें हाइकु दिवस के उपलक्ष्य पर आर ब्लॉक, इंजीनियर्स भवन के सभागार में रविवार को समारोह आयोजित किया गया। स्वागत भाषण संस्था की अध्यक्ष विभा रानी श्रीवास्तव ने किया। इस मौके पर…

प्रधानमंत्री नहीं होते, तो गुणी साहित्यकार होते नेहरू

पटना दूरदर्शन के कार्यक्रम प्रमुख सुवीर वर्मा को लेख्य-मंजूषा की तरफ से “साहित्य में मीडिया का योगदान” के लिए सम्मानित किया गया पटना : “बच्चों के लिए साहित्य लिखना बहुत मुश्किल होता है। बाल साहित्य के लिए हम साहित्यकारों को…

लघुकथा के पर्याय थे लाहौर में जन्मे सतीशराज पुष्करणा

पटना : “लघुकथा आंदोलन की शुरुआत करने वाले डॉ. सतीशराज पुष्करणा पटना में मेरे पड़ोसी हुआ करते थे। मैंने उनसे साहित्य के अनेक विधाओं के बारे में सीखा, लेकिन लघुकथा नहीं लिख पाया। इसके पीछे की प्रेरणा भी डॉ. सतीशराज…

लेख्य-मंजूषा : तकनीक के सहारे साहित्यिक विमर्श की सराहना, पितृ दिवस पर रचना पाठ

पटना : साहित्यक संस्था लेख्य–मंजूषा के त्रैमासिक कार्यक्रम का आयोजन रविवार को उसके फेसबुक पेज “लेख्य – मंजूषा” पर हुआ। “पितृ दिवस” को समर्पित त्रैमासिक कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी, शम्भु सिंह, पटना दूरदर्शन की पूर्व निदेशक रत्ना…

कोरोनाकाल में साहित्य दिलाएगा मानसिक संतुष्टि

कोरोनाकाल में तमाम साहित्यक संस्था अपनी गतिविधियों को ऑनलाइन प्लेटफार्म पर ला चुकी है। इसी क्रम में पटना की साहित्यक संस्था ‘लेख्य-मंजूषा’ जुलाई महीने की गोष्ठी रविवार को ज़ूम एप्प के जरिए सम्पन्न की। लेख्य-मंजूषा की मासिक पद्य गोष्ठी में…

लेख्य-मंजूषा : पहले निशब्द होती हूँ, फिर शब्द बुनती हूँ

पटना : पहले निशब्द होती हूँ, फिर शब्द बुनती हूँ। तब शब्दों को पिरोना होता है उक्त बातें डॉ.अनीता राकेश ने रविवार को लेख्य-मंजूषा के त्रैमासिक कार्यक्रम में कहीं। मंच से 8 वर्षीय आरव श्रीवास्तव की रचना पर प्रकाश डालते…

घर के अंदर ही माँ पूरी पाठशाला है : डॉ. कृष्ण

“घर के अंदर ही माँ पूरी पाठशाला है”। उक्त पंक्तियां जानेमाने साहित्य मर्मज्ञ डॉ. नीरज कृष्णा जी ने साहित्यिक संस्था लेख्य मंजूषा, पटना के त्रैमासिक कार्यक्रम “मातृ दिवस: हर पल नमन” के अवसर में कही। अपने व्यक्तव में डॉ. नीरज…

‘कम शब्दों में मानव मन को झकझोर देती है लघुकथा’

पटना : आज के दौर में साहित्य की सबसे अच्छी विधा लघुकथा है। कम शब्दों में सारगर्भित रचना जो इंसानी मन को झकझोर दे वही लघुकथा है। उक्त बातें वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने साहित्यिक संस्था लेख्य-मंजूषा और अमन…