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लेख्य-मंजूषा : पहले निशब्द होती हूँ, फिर शब्द बुनती हूँ

पटना : पहले निशब्द होती हूँ, फिर शब्द बुनती हूँ। तब शब्दों को पिरोना होता है उक्त बातें डॉ.अनीता राकेश ने रविवार को लेख्य-मंजूषा के त्रैमासिक कार्यक्रम में कहीं। मंच से 8 वर्षीय आरव श्रीवास्तव की रचना पर प्रकाश डालते…

‘कम शब्दों में मानव मन को झकझोर देती है लघुकथा’

पटना : आज के दौर में साहित्य की सबसे अच्छी विधा लघुकथा है। कम शब्दों में सारगर्भित रचना जो इंसानी मन को झकझोर दे वही लघुकथा है। उक्त बातें वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने साहित्यिक संस्था लेख्य-मंजूषा और अमन…

गहमर के गागर में समाया साहित्य का सागर

विगत 5 साल से अखंड गहमरी की तरफ से आयोजित हो रहे गहमर साहित्य सम्मेलन का आयोजन इस वर्ष 8 और 9 सिंतबर को उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर जिले के गहमर गाँव में हुआ। 1 लाख 28 हज़ार की आबादी…