‘राष्ट्र निर्माताओं की पत्रकारिता’: अतीत के वातायन से झांकती भविष्य की राह
पुस्तक समीक्षा किसी महापुरुष ने बिलकुल ठीक कहा है, ‘अतीत में जितनी दूर तक देख सकते हो, देखो, इससे भविष्य की राह निकलेगी।’ ढाई दशकों तक संस्थागत पत्रकारिता में सक्रिय रहने के बाद पिछले एक दशक से अधिक से महात्मा…