वृद्ध दिवस पर विशेष : जीवन की शाम में बेसहारा होते बुजुर्ग
राकेश प्रवीर, वरिष्ठ पत्रकार हमारी संस्कृति में बड़े-बुजुर्गों के सम्मान की परंपरा रही है। जब किसी युवा या बच्चों को अपने बड़ों से कुछ ऊंची आवाज में बात करते देखा-सुना जाता था, तो उसे नसीहत दी जाती थी कि अपने…