साहित्य के बिना पत्रकारिता संस्कारविहीन : प्रो. केजी सुरेश
पटना : पत्रकारिता में उन्माद, विद्वेष का कोई स्थान नहीं है। पत्रकारिता की भाषा संयम और संस्कार की भाषा होनी चाहिए, जिसमें पत्रकारिता को साहित्य से अपने टूटे रिश्ते को फिर से जोड़ना होगा। उक्त बातें सोमवार को ‘पत्रकारिता और…