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प्रेमाश्रम उपन्यास

हिन्दी साहित्यकारों की दृष्टि में गाँव

~ रामरतन प्रसाद सिंह ‘रत्नाकर’  नवादा : गाँव-भाव बदला, विचार बदला, संस्कार बदला, व्यवहार बदला। प्रेमचंद के समय जब देश गुलाम था, उन दिनों गाँव में सामंत और महाजन गाँववासियों को सताते थे, फिर भी उनका जीवन संतोष से भरा…