भारत अंत्योदयवादी, विकास का फल जब बंटता है तो सबसे आगे रखे जाते हैं दलित और पिछड़े- सहस्त्रबुद्धे
पटना : भारत की सौम्य संपदा कई रूपों में परिलक्षित होती है। अगर देखा जाए तो आध्यात्मिक जनतंत्र की परिकल्पना भारत में दिखती है और बहु संस्कृतिवाद पर चर्चा चल रही है। भारत में आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा है और…