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पीएम ने जिस गंगा एक्प्रेस वे की रखी नींव उसका मायावती से क्या संबंध? अखिलेश क्यों बेचैन?

नयी दिल्ली/लखनऊ : पीएम मोदी ने आज शुक्रवार को यूपी के शाहजहांपुर में 600 किमी लंबे गंगा एक्सप्रेस वे की नींव रखी। इसे यूपी में रोजगार के अवसर बढ़ाने और विकास त​था आर्थिक असंतुलन दूर करने के लिए सरकार के काफी अहम कदम के तौर पर देखा जा रहा है। लेकिन इसके साथ ही क्रेडिट के नाम पर सियासी बहस भी शुरू हो गई है। दिलचस्प है कि क्रेडिट की यह बहस मायावाती ने नहीं, बल्कि सपा के अखिलेश यादव ने छेडी है। जबकि उनका इससे दूर—दूर तक कोई नाता भी नहीं।

जानें गंगा एक्सप्रेस वे की खासियत

पीएमओ ने जानकारी दी कि देशभर में तेज संपर्क प्रदान करने को लेकर पीएम ने इस गंगा एक्सप्रेस वे की यह पहल की है। इसमें दिल्ली बार्डर से बलिया तक 1020 किमी लंबा गंगा किनारे एक्सप्रेस वे बनेगा। कुल लागत 36,200 है और पूर्णता के बाद यह यूपी के पश्चिमी और पूर्वी हिस्सों को जोड़ेगा। साथ ही इसपर शाहजहांपुर में वायुसेना के लिए इमरजेंसी हवाईपट्टी भी होगी। साथ ही एक औद्योगिक गलियारा भी बनेगा।। पीएमओ ने कहा कि गंगा एक्सप्रेस वे से औद्योगिक विकास, व्यापार, कृषि, पर्यटन आदि को भी बढ़ावा मिलेगा।

मायावती और अखिलेश का क्या संबंध

जानकारी के अनुसार 2007 में अपनी सरकार के काल में 1047 किमी लंबे गंगा एक्सप्रेस वे की योेजना बनाई थी। यह ग्रेटर नोएडा से शुरू होकर बलिया तक की थी। लेकिन उस समय एक एनजीओ ने प्रोजेक्ट के अलाइनमेंट पर सवाल खड़ा करते हुए इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी जिसपर कोर्ट ने प्रोजेक्ट को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह प्रोजेक्ट पर्यावरण संरक्षण कानून के खिलाफ है। अब योगी सरकार ने तब की गलतियों को दूर करते हुए नया प्रोजेक्ट बनवाया है। यूपी में विस चुनाव होने वाले हैं और भाजपा सरकार ने ​विकास पर जो रफ्तार पकड़ी है, उससे सपा के अखिलेश यादव दंग हैं। यही कारण है कि गंगा एक्सप्रेस वे पर क्रेडिट को लेकर अखिलेश ने सियासत शुरू कर दी।

मायावती चुप लेकिन अखिलेश बेचैन, कहा…

सपा के अखिलेश यादव ने सदा की भांति एक बार फिर कहा कि भाजपा सरकार पुरानी सरकारों की योेेेजनाओं का फीता काट रही है। वहीं भाजपा ने उन्हें बेचैन क्रेडिट किंग करार दिया। अखिलेश ने आरोप लगाया कि यह मायावती का ड्रीम प्रोजेक्ट था। पीएम मोदी या योगी आदित्यनाथ का नहींं। तब का प्रोजेक्ट आदलत में उलझ गया। अब इसे क्लियरेंस मिली तो भाजपा ने अपना बता दिया। लेकिन यहां अखिलेश का यह तर्क सही नहीं। दरअसल, हाईकोर्ट ने तब के मायावती वाले प्रोजेक्ट को पूरी तरह खारिज कर दिया था। फिर उसे क्यिरेंस मिलने की बात बिल्कुल झूठी है।