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DM की जांच रिपोर्ट में सच आया सामने, जेल में पिटाई से हुई थी गुड्डू की मौत

नवादा : मंडल कारा के बंदी गुड्डू कुमार की मौत में जांच पूरी कर ली गई है। टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी यश पाल मीणा को सौंप दी है। जिसमें जेल के अंदर से बंदी की मौत सामने आई है और इसमें जेल प्रशासन की संलिप्तता है। अब इस रिपोर्ट के बाद जेल अधिकारियों की मुसीबतें बढ़ गई हैं। जेल अधिकारियों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है। टीम के अधिकारियों ने बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। जिसमें गवाहों के बयान की वीडियोग्राफी की सीडी भी दी गई है। गवाहों का बयान, पोस्टमार्टम रिपोर्ट समेत कुल 70 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी गई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में स्पीलिन रैप्चर्ड की बात सामने आई है। इससे साफ है कि जेल के अंदर निर्ममता पूर्वक पिटाई की गई है। जिससे उसकी मौत हुई है।

खराब कर दिया सीसीटीवी फुटेज:-

अधिकारियों की जांच में जेल प्रशासन की कलई खुल गई है। टीम ने जो अपनी रिपोर्ट साैंपी है, वह काफी चौंकाने वाली है। जिलाधिकारी यश पाल मीणा ने बताया कि 6 सितंबर को गुड्डू की मौत को लेकर प्रशासनिक स्तर पर जांच कराई गई थी। टीम में सदर एसडीएम उमेश कुमार भारती, एसडीपीओ उपेंद्र प्रसाद, एसीएमओ डॉ. अखिलेश कुमार मोहन व डीआइयू के राजीव कुमार शामिल किया गया था। जांच टीम ने मंडल कारा पहुंच कर सीसीटीवी फुटेज की जांच की तो पाया कि 5 सितंबर को 11.50 बजे के बाद कोई फुटेज नहीं है। ऐसे में साफ है कि जेल अधिकारियों ने राज उजागर होने के भय से सीसीटीवी को खराब कर दिया।

75 बंदियों का लिया बयान:-

जांच टीम ने मंडल कारा में बंद 70-75 बंदियों से अलग-अलग बयान लिया है। जिसमें उन बंदियों ने जांच अधिकारियों को अलग-अलग जानकारी दी है। किसी बंदी ने कहा है कि तबीयत बिगड़ने पर वार्ड के भीतर ही गुड्डू का इलाज किया गया तो किसी ने बताया कि वार्ड के बाहर। किसी ने सेल में इलाज करने की बात कही तो किसी ने जेल अस्पताल में।

ऐसे में सवाल लाजिमी है कि एक ही वार्ड में बंद लोग आखिर किस परिस्थिति में अलग-अलग बयान दे रहे हैं। बंदियों के बयान में गुड्डू के बीमार होने और उसके इलाज के समय में भी काफी अंतर पाया गया।

छह सितंबर को हुई थी मौत:-

जांच में पाया गया कि बंदी की तबीयत बिगड़ने पर 6 सितंबर की अहले 3:10 बजे उसे एंबुलेंस से सदर अस्पताल भेजा गया। जबकि अस्पताल में अहले 3:50 बजे चिकित्सक ने उसे देखते ही मृत घोषित कर दिया। जांच टीम ने इसमें साफ तौर पर जेल प्रशासन की संलिप्तता को माना है। चूंकि सुबह के वक्त शहर में ट्रैफिक की समस्या नहीं होती है और जेल से सदर अस्पताल की दूरी महज दो किलोमीटर है। ऐसे में इतना समय लगना कहीं न कहीं कुछ और इशारा करता है।

जेल अधीक्षक पर कार्रवाई की अनुशंसा:-

जांच अधिकारियों ने रजौली थाना से लेकर मंडल कारा में सीसीटीवी फुटेज की जांच की। 2 सितंबर को गुड्डू को पकड़ा गया था। उस वक्त से लेकर हाजत से बाहर निकालने वक्त तक की फुटेज की जांच की गई। इसके बाद मंडल कारा में 3 सितंबर को प्रवेश के दौरान की फुटेज की जांच की।

इस क्रम में अधिकारियों ने पाया कि उसके कलाई पर बांधने का कोई निशान नहीं है। हाजत में वह काफी आराम से रहा। वह किसी प्रकार की दर्द से चीख-चिल्ला नहीं रहा था।

जिलाधिकारी यश पाल मीणा ने बताया कि प्रशासनिक जांच रिपोर्ट आने के बाद मामले की न्यायिक जांच के लिए जिला जज को पत्र लिखा गया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को जांच के लिए पत्राचार किया गया है। मगध आयुक्त को भी जांच रिपोर्ट से अवगत कराया गया है। साथ ही कारा विभाग को जेल अधीक्षक पर कार्रवाई की अनुशंसा करते हुए उच्चस्तरीय जांच के लिए लिखा गया है।

क्या है घटनाक्रम:-

06 सितंबर को मंडल कारा के बंदी गुड्डू कुमार की मौत हो गई थी। जेल प्रशासन बीमारी से मौत का हवाला दे रहे थे। लेकिन मृतक के शरीर पर पिटाई के गहरे निशान होने की वजह से स्वजनों ने जेल प्रशासन पर हत्या का आरोप लगाया था। मृतक के चाचा कपिलदेव सिंह ने नगर थाना में जेल प्रशासन के खिलाफ हत्या की प्राथमिकी दर्ज कराई। मृतक रजौली थाना क्षेत्र के सोहदा गांव का रहने वाला था। उसे 2 सितंबर को शराब के साथ पकड़ा गया था। जिसे 3 सितंबर को जेल भेज दिया गया था।