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…तो प्लान्टेड टूल थे श्याम रजक ?

चर्चा तो ऐसी ही है पाॅलिटिकल कॅारिडोर में। दरअसल ये चेला ही रहे हैं लालू प्रसाद के। सबसे विश्वसनीय तोता। सामाजिक न्याय के नाम पर लाये गये जातीय समीकरण को बिठा कर इन्हें राजनीति में आते-आते मंत्री पद तब मिला था जब राजनीति का ककहरा भी जानते थे। माने 90 के दशक में ही। तब से कई प्रमुख विभागों के मंत्री रहते हुए उन्हें उनकी शत्र्तों पर काम करने की आजादी मिलती रही। कास्ट कांबिनेशन के कारण भी।

सूत्रों ने बताया कि राजनीति के धुरंधर लालू प्रसाद ने उन्हें नाटकीय तरीके से राजद में विवाद करने को कहा। हालांकि ये उतना बड़ा अभिनय जानते नहीं थे। पर, रिहर्सल हुआ और उसी दौरान नीतीश कुमार ने उन्हें अपना दूत भेज कर पार्टी में आने का आॅफर दे दिया। फिर क्या था-बिना फाइनल नाटक के ही उन्हें पर्दा हटने के पहले बेस्ट नायक करार देते हुए मंत्री पद पर बिठा दिया गया।

एक सूत्र ने दावा किया कि बिहार की सियासत के ये बम्बू-जम्प के चैंपियन नहीं हैं, बल्कि बम्बू किसी और का रहता है और ताकत भी किसी और का। विभाग में प्रधान सचिव से अनबन की बात महज दिखावा है। सूत्र ने दावा किया कि किस विभाग के मंत्री का प्रधान सचिव से मधुर संबंध है? शायद किसी का नहीं। स्वास्थ्य विभाग में प्रधान सचिव रहे संजय कुमार और भैरो सिंह कुमावत तो इसके ताजा उदाहरण हैं। जानकार मिली है कि कोविड-19 के पीक आवर में बदले गये दो अफसर के बाद आये प्रत्यय अमृत से भी स्वास्थ्य विभाग के मंत्री मंगल पांडेय से सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। प्रत्यय अपने स्टाईल में काम करने के लिए जाने जाते हैं। ये मंगल पांडेय को भी पता है। तब, किसको लाया जाए?

बहरहाल, राजनीतिक सूत्रों का दावा है कि श्याम रजक की निरंतर वार्ता लालू प्रसाद से होती रही है। अलग बात है कि वे सीबीआई कस्टडी में हैं और जांच एजेंसी की बंदिशें उन पर हैं, पर राजद के कई विश्वसनीय लोगों से रजक की बात बराबर होती रहती थी और आंतरिक गतिविधियों की जानकारी वे कभी जगदा बाबू को तो कभी शिवानन्द तिवारी को देते रहे हैं। सूत्र ने दावा किया है कि वे समय आने पर इसका खुलासा कर देंगे। यही पहीं, इनकी संदिग्ध गतिविधियों पर नजर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी थी। इसीलिए इन्हें सीएम हाउस में बहुत तवज्जो नहीं दिया जाता था।

ठसको लेकर वे थोड़ा परेशान भी रहते थे। पर, राजनति में लम्बा अनुभव रखने वाले रजक को नीतीश कुमार का स्टाईल भी पता था कि वे व्यूोक्रेटस को अधिक महत्व देते हैं। सो, सीएम हाउस इनका आना-जाना कम ही रहता था। बहरहाल, लम्बी उछल-कूद की राजनीति में वे माहिर रहे अब राजद में जाकर नीतीश सरकार की बखिया उभारेंगे, कारण कि राजनीतिक गलियारे में उन्हें लालू का तोता कहा जाता है। अब राजद जो बोलेगा- पिंजड़े से वही आवाज निकालेंगे।