तीन तलाक पर कानून बनने से मुस्लिम महिलाओं को मिली जिल्लत भरी जिंदगी से आजादी- पप्पू वर्मा

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पटना : पटना विश्वविद्यालय के सिंडिकेट सदस्य पप्पू वर्मा ने कहा कि आज से एक वर्ष पहले मोदी सरकार ने तीन तलाक की कुप्रथा को खत्म कर देश में लैंगिक गरिमा व सामाजिक क्रांति का नया इतिहास लिखा गया।

केंद्र सरकार की सामाजिक सशक्तिकरण नीतियों का लाभ मुस्लिम महिलाओं को मिला तथा वे देश के विकास में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही है ।

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तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं था। लेकिन मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक के कुप्रथा के नाम पर मुस्लिम महिलाओं का शोषण करने वाले मुस्लिम धर्मावलंबियों के विरोध के बावजूद तीन तलाक कुप्रथा को खत्म कर, उसे कानूनी रूप दिया। इसी के साथ यह दिन संवैधानिक, मौलिक, लोकतांत्रिक व समानता के अधिकारों का दिन बन गया ।

कानून बनने से कम हुए तीन तलाक से संबंधित मामले

उन्होंने कहा कि इस कानून के बनने के बाद देश में पिछले 1 साल में तीन तलाक से संबंधित 82 फ़ीसदी केस कम हुए हैं। इससे अदालतों पर भी बोझ कम हुआ है। मुस्लिम महिलाओं के सामाजिक,आर्थिक, मौलिक, और लोकतान्त्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए मोदी सरकार की यह एक विश्वव्यापी व ऐतिहासिक कदम साबित हुआ है।

शरियत कानूनों के नाम पर मुस्लिम महिलाओं पर सदियों से होता आ रहा था अत्याचार

वर्मा ने कहा कि शरियत कानूनों के नाम पर मुस्लिम महिलाओं पर सदियों से अत्याचार होता आ रहा था। तीन तलाक के माध्यम से तलाक देने पर इसे वापस लेने का प्रावधान नहीं था मुस्लिम पुरुष नशे की हालत में भी तीन तलाक बोला करता था और मुस्लिम महिला का जीवन नर्क में चला जाता था।

अधिकांश मुस्लिम देशों में प्रतिबंधित था शरियत कानून

शरियत के इस घिनौने कानून का अधिकांश मुस्लिम देश पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, ईरान, इराक, सऊदी अरब आदि जैसे देशों में तीन तलाक प्रतिबंधित था। लेकिन भारत जैसे प्रजातांत्रिक देश में तीन तलाक का कुप्रथा खुलेआम चल रहा था। इस प्रथा को समाप्त करने और दोषी मुस्लिम पुरुष को 3 साल तक की सजा का प्रावधान, जुर्माना और पीड़ित महिला को मुआवजा देने का प्रावधान होने पर मुस्लिम पुरुषों में कानून का डर बैठा है। जिससे तीन तलाक जैसे कुप्रथा की संख्या भारत में नाम मात्र का रह गया है।

 

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