एसएन सिन्हा मेमोरियल लेक्चर में बोले Prof RB Singh: शिक्षित समाज में बेहतर समझ की भावना

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Former Vice Chancellor Prof RB Singh addressing the SN Sinha Memorial Lecture Series org by AN College, Patna

बिहार के कम सकल नामांकन अनुपात पर जतायी चिंता

प्राचार्य प्रो. एसपी शाही बोले— एएन कॉलेज का इसरो से केलैबोरेशन, विद्यार्थियों को होगा लाभ

एएन कॉलेज पटना के द्वारा सोमवार को एसएन सिन्हा मेमोरियल लेक्चर सीरीज के अंतर्गत 15वें व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान का विषय “21 वी शताब्दी में भारत के समक्ष उच्च शिक्षा की चुनौतियां: बिहार के विशेष संदर्भ में” पर पटना विवि एवं नालंदा खुला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, प्रख्यात शिक्षाविद प्रो. रासबिहारी प्रसाद सिंह ने अपने विचार रखें। मुख्य वक्ता ने शिक्षा के महत्व पर अमेरिका के प्रख्यात समाज शास्त्री कार्ल.सी.जिमरमैन को उद्धृत करते हुए कहा कि शिक्षित समाज बेहतर समझ की भावना रखता है। बेहतर बुद्धि और समझ रखने वाले लोग विश्व के सबसे बड़े संसाधन हैं, इन संसाधनों को विकसित करने में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान है। किसी भी देश का विकास वहां की शिक्षा व्यवस्था पर निर्भर करता है।

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जनसांख्यिकीय विभाजन पर चर्चा करते हुए मुख्य वक्ता ने कहा कि भारत की अधिकतम आबादी युवा है, हमें इस संसाधन को बेहतर शिक्षा एवं तकनीकी संसाधन उपलब्ध करवाने चाहिए। ऐसा करने से पूरे विश्व में भारत की स्थिति काफी बेहतर होगी। उच्च शिक्षा में निम्न सकल नामांकन अनुपात पर चिंता जाहिर करते हुए मुख्य वक्ता ने कहा कि बिहार में सकल नामांकन अनुपात 14.2% ही है जो कि अत्यंत ही कम है, इसका दूसरा अर्थ यह भी है कि 18 से 33 वर्ष के आयु के 86 % युवा उच्च शिक्षा से वंचित हैं। सकल नामांकन अनुपात को कम से कम 50% तक बढ़ाना होगा परंतु इतने नामांकन के लिए सरकार को संस्थानों और विश्वविद्यालयों की संख्या भी बढ़ानी होगी। उच्च शिक्षा पर माधव मेनन कमेटी ने कहा है कि हर जिले में एक विश्वविद्यालय स्थापित होना चाहिए। अभी फिलहाल 21 विश्वविद्यालय हैं इसका अर्थ है कि हमें तत्काल 17 से 20 और विश्वविद्यालयों की आवश्यकता है। प्रोफेसर सिंह ने विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों को गुणवत्तापूर्ण बनाने हेतु प्रयास करने पर भी बल दिया। हाल के दिनों में बिहार में शिक्षा का बजट बढ़ा है , और शिक्षा की बेहतरी के लिए कई प्रयास भी किए गए हैं। स्नातक तथा स्नातकोत्तर में सीबीसीएस सिस्टम लागू करने को आवश्यक बताते हुए मुख्य वक्ता ने कहा इससे छात्रों के अंतः विषय स्वभाव विकसित होते हैं जिससे भविष्य में शोध जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में मदद मिलती है। प्रोफेसर रासबिहारी सिंह ने वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में तीन महत्वपूर्ण विषय को समाहित करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में सामाजिक जिम्मेदारी से संबंधित पाठ्यक्रम जैसे कि एनसीसी और एनएसएस आदि विषय अनिवार्य बनाए जाने चाहिए। अपने दूसरे सुझाव में मुख्य वक्ता ने वातावरण, स्वास्थ्य , स्वच्छता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर केंद्रित पाठ्यक्रम को अनिवार्य करने की आवश्यकता बताई। तीसरे सुझाव में मुख्य वक्ता ने सभी विद्यार्थियों को माता, मातृभूमि तथा मातृभाषा जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर केंद्रित पाठ्यक्रम चलाने का सुझाव दिया। आज के समय में जहां सामाजिक चेतना का सख्त अभाव देखा जा रहा है वहां ऐसे पाठ्यक्रम चलाने से निश्चित रूप से विद्यार्थी अपने माता, मातृभूमि और मातृभाषा के प्रति अधिक जिम्मेदार होंगे। सकल नामांकन अनुपात बढ़ाने में दूर शिक्षा सभी महत्वपूर्ण योगदान है, देश में अभी बहुत कम दूर शिक्षा प्रदान करने वाले विश्वविद्यालय हैं। जापान, जर्मनी जैसे देशों में नियमित विश्वविद्यालयों से कहीं अधिक छात्र दूर शिक्षा से अध्ययन कर रहे हैं।

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भारत जैसे देश में दूर शिक्षा से संबंधित विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़ाना आवश्यक है। प्रो. सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालयों को तीन वर्ग यथा लोकल यूनिवर्सिटी या स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी, टीचिंग यूनिवर्सिटी तथा रिसर्च यूनिवर्सिटी में विभाजित कर शिक्षा प्रदान करने से शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी साथ हीं यह रोजगार प्रदान करने में भी सहायक सिद्ध होगा। उच्च शिक्षा में स्पष्ट दृष्टि का अभाव एक महत्वपूर्ण चुनौती है। विभिन्न राज्य और केंद्र की नीति शिक्षक नियुक्ति, कुलपति की नियुक्ति, सेवानिवृत्ति वर्ष अलग-अलग है। कई राज्यों में शिक्षक नियुक्तियों में डोमिसाइल का प्रावधान है वही बिहार जैसे राज्य में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। समरूप नीति का अभाव भारत के संघीय चरित्र को कमजोर बनाता है। मुख्य वक्ता ने वर्तमान में विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों के छात्र ,कर्मचारी तथा विद्यार्थी संगठन को रचनात्मक तथा सृजनात्मक कार्य करने की सलाह दी। पूर्व कुलपति ने कहा की वर्तमान में कई विश्वविद्यालयों के ऐसे संगठन अपने मूल कार्य से भटक रहे हैं। इन संगठनों का मूल कार्य संस्था का बहुआयामी विकास करना है।

Prof SP Shahi, Principal, AN College, Patna

अपने स्वागत भाषण में महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रो. एसपी शाही ने कहा कि अनुग्रह बाबू तथा सत्येंद्र बाबू के आशीर्वाद से एएन कॉलेज लगातार प्रगति पथ पर अग्रसर है। इसमें महाविद्यालय के सभी शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मचारी तथा विद्यार्थियों का महत्वपूर्ण योगदान है। वर्तमान में महामारी की गंभीरता को समझते हुए महाविद्यालय प्रशासन ने आइक्यूएसी के सुझावों के परिपेक्ष्य में 21 मार्च से ही ई-कंटेंट के द्वारा पढ़ाई शुरू कर दी थी। महाविद्यालय के आइक्यूएसी के प्रयासों से हाल ही में इसरो तथा कोर्स एरा से कोलैबोरेशन हुआ है ,जिसका लाभ विद्यार्थियों को मिलेगा। विषय प्रवेश करते हुए एस. एन. सिन्हा मेमोरियल लेक्चर के संयोजक प्रोफेसर कलानाथ मिश्र ने कहा कि वर्तमान में शिक्षा पर जीडीपी का सिर्फ 3 फ़ीसदी ही खर्च किया जा रहा है जो अन्य विकासशील देशों की अपेक्षा अत्यंत कम है। उन्होंने आधारभूत संरचना में निवेश की आवयश्कता पर बल दिया। प्रोफेसर मिश्र ने कहा कि आभासी वर्ग पारंपरिक वर्ग का प्रतिस्थापन नहीं हो सकता परंतु वर्तमान समय में हमें डिजिटल लर्निंग पर केंद्रित करना चाहिए जिससे विद्यार्थियों को लाभ मिल सके। कार्यक्रम का संचालन एसएन सिन्हा मेमोरियल लेक्चर की सह- संयोजक डॉ रत्ना अमृत ने किया। धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक प्रोफेसर अजय कुमार ने किया। इस अवसर पर आइक्यूएसी के समन्वयक डॉ अरुण कुमार, वरिष्ठ शिक्षक प्रो. शैलेश कुमार सिंह, डॉ नूपुर बोस , प्रो. प्रीति सिन्हा, प्रो. तृप्ति गंगवार समेत महाविद्यालय के शिक्षक एवं छात्र उपस्थित रहे।

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