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शिक्षा व स्वालंबन की पाठशाला, सबकी ‘मौसी’ जयपुरा देवी का निधन

मधुबनी (सिजौल) : गांव में सबकी ‘मौसी’ जयपुरा देवी शिक्षा और स्वालबंधन की संपूर्ण पाठशाला थीं। पति के असामयमिक निधन के बाद सिजौल गांव निवासी जयपुरा देवी का जीवन अत्यंत संघर्षपूर्ण रहा। लेकिन, उनका संघर्ष पूरे गांव के लिए अनुकरणीय बन गया। सामाजिक उत्थान में उनके योगदान की सराहना करते हुए ग्राम पंचायत राज मैलाम  के मुखिया रामनाथ चैधरी  की ओर से जयपुरा देवी को मरणोपरांत  प्रशस्तिपत्र से सम्मानित किया गया है। मुखिया रामनाथ चौधरी ने यह प्रशस्ति पत्र उनके बड़े पुत्र मदन झा को गुरुवार को उनके पैतृक गांव सिजौल में प्रदान किया।

प्रशस्ति पत्र में मुखिया ने कहा कि स्व. जयपुरा देवी  (25 सितंबर 1938 – 29 सितंबर 2020), पति स्व. दयानन्द झा उर्फ गाँधी जी सिजौल-मैलाम पंचायत के सामाजिक योगदान, नैतिक  मूल्यों, आदर्श  एवं मानुषिक कर्तव्य  की प्रतिमूर्ति थीं। उनकी जीवन संघर्ष गाथा समाज लिएअ प्रेरणादायी एवं अनुकरणीय है। उन्होंने सर्वजन हिताय- सर्वजन सुखाय की पुनीत भावना रखकर समाज के कार्यों में अपने आप को समर्पित किया और आने वाली पीढ़ी को श्रेष्ठ विचार सौंप कर हमेशा बेहतर करने की प्रेरणा दी। एक संवेदनशील, निष्ठावान, कुशल, दक्ष सामाजिक सदस्य के रूप में उन्होंने लोगों को हर बाधा से पार पाने की प्रेरणा देते हुए कभी हार न मानने के लिए प्रोत्साहित किया।

प्रशस्ति पत्र  में आगे लिखा है- ’’कर्मयोगी व्यक्तित्व की धनी और जगत जननी सीता  की धरती मिथिला में जन्मी  मातृवत जयपुरा देवी सतीत्व, नारीत्व, शालीनता, पवित्रता एवं व्यवहार कुशलता  के पर्याय बनकर अपने जीवन काल में  सबकी माँ जैसी अर्थात ‘मौसी’ के रूप में जानी जाती थी। विधवाओं के स्वावलंबन, बच्चों की शिक्षा के प्रति सजगता एवं नारी आत्म निरर्भरता के लिए किये गए उनके प्रयास एवं योगदान हमेशा सामाजिक चर्चा का विषय एवं मानक रहेगा।’’

स्व. जयपुरा देवी के छोटे पुत्र डॉ. बीरबल झा ख्यातिप्राप्त लेखक और ब्रिटिश लिन्गुआ के प्रबंध निदेशक हैं। वे मिथिला के  ’यंगेस्ट लिविंग  लिगेंड’ से नवाजे जा चुके हैं।