पटना : प्रख्यात शिक्षाविद प्रो. विजयश्री स्मृति व्याख्यानमाला के 16वें पुष्प के रूप में ‘भारत का भविष्य : आंतरिक विषम चुनौतियां’ विषय पर रविवार को भारत विकास परिषद्, विकलांग अस्पताल सभागार में एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता सामाजिक चिंतक एवं प्रज्ञा प्रवाह के क्षेत्र संयोजक रामाशीष सिंह ने कहा कि खिलाफत आंदोलन के शताब्दी वर्ष का आयोजन कर भारत विरोधी वैचारिक शक्तियां भारत में आजादी के पूर्व की विभाजनकारी सामाजिक व राजनीतिक स्थितियां उत्पन्न करना चाह रही हैं। ऐसे तत्वों को भारत के बाहर स्थित भारत विरोधी शक्तियां मदद कर रही हैं। शाहीनबाग जैसे आंदोलन इस प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्र का संकेत हैं।
उन्होंने कहा कि भारत की सामाजिक ताने—बाने को कमजोर करने वाले शब्दावली व नैरेटिव भारत के बाहर के विश्वविद्यालयों में गढे जाते हैं। उन शब्दावली एवं आख्यानों के आधार पर भारत में बौद्धिक जहर खुरानी गिरोह तैयार किए जाते हैं। दुर्भाग्य की बात यह है कि भारत के संसाधन के बल पर चलने वाले संस्थानों में ऐसे नैरेटिव को आगे बढ़ाने वाले माइंड पैदा किए जाते रहे हैं। पूरे देश में असत्य व भ्रामक आख्यान के आधार पर विभ्रम की स्थिति पैदा कर यहां अराजक स्थिति का निर्माण करना इनका उद्देश्य है। दिल्ली सरकार में वामी और तुष्टीकरण मानसिकता वालों का प्रभाव न होने के कारण भारत को कमजोर देखने की मंशा पालने वाली शक्तियां भारत में मौजूद अपने स्लीपर सेल को सक्रीय कर दिया है। भारत के अधिकांश लोग इस तथ्य को जान चुके हैं। लोग इसकी भत्रर्सना भी करते हैं। लेकिन, इसका विरोध करने की जहमत नहीं उठा रहे हैं। यही भारत के भविषय की सबसे बड़ी समस्या का मूल कारण है।
व्याख्यान की अध्यक्षता करते हुए पूर्व कुलपति डॉ. अमरनाथ सिन्हा ने कहा कि भारत का भविष्य, भारत की कामना और आशंका से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत में शस्त्र व शास्त्र दोनों को समान महत्व देने की परंपरा रही है। हम शास्त्र का अनुशीलन करें। लेकिन, शस्त्र की उपेक्षा भी नहीं करें। पिछले वर्ष जब भारत ने अपने उपर आक्रमण करने वालों को सबक सिखाया, तो इसका संदेश पूरे विश्व में गया।
समारोह के मुख्य अतिथि नालंदा नवविहार विवि के कुलपति प्रो. वैद्यनाथ लाभ ने कहा कि राष्ट्रविरोधी ताकतों का जवाब न देने की प्रवृति भारत की आंतरिक चुनौतियों का प्रमुख कारण है। पटना विवि के कुलपति प्रो. रासबिहारी सिंह ने कहा कि असत्य के आधार पर भ्रम फैलाकर समाज में विद्वेष का वातावरण पैदा करना और देश को कमजोर करने वाले आजादी, लोकतंत्र व संविधान जैसे शब्दों को कलंकित कर रहे हैं।
मुंगेर विवि के कुलपति प्रो. आरके वर्मा ने कहा कि विदेशों में भारत का सामथ्र्य स्थापित हुआ है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अवकाशप्राप्त अधिकारी श्यामजी सहाय, साइंस कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो. केसी सिन्हा, कॉलेज आॅफ कॉमर्स के प्राचार्य प्रो. तपन शांडिल्य ने भी विचार रखे। इस अवसर पर पद्मश्री विमल जैन को शिक्षाविदों ने सम्मानित किया। वहीं अतिथियों ने भारत विकास परिषद् के तत्वावधान में चल रहे विकलांग मुक्त बिहार बनाने के अभियान का भी अवलोकन किया।