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संतों की हत्या मामले में उत्तर प्रदेश में ही प्राथमिकी दर्ज होने के बाद ही सीबीआई जांच की अनुशंसा संभव:- पप्पू वर्मा

पटना : पटना विश्वविद्यालय के सिंडिकेट सदस्य पप्पू वर्मा ने कहा कि जब से महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की मिलीजुली सरकार बनी है, तब से महाराष्ट्र में काफी उथल-पुथल मची हुई है।

हालांकि वर्षों से महाराष्ट्र के कई जिले कई कारणों से काफी संवेदनशील रहा है। पालघर के आसपास के जिले में कई ऐसे गिरोह हैं जो देश विरोधी कार्य करने में लिप्त रहे हैं। इन गिरोहों का खुलासा होना देश के लिए बहुत जरूरी है।

मालूम हो कि कुछ महीनों पहले पालघर की घटना में दो संतो सहित कार ड्राइवर की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। पालघर की घटना की तार, इन्ही गिरोहों से जुड़ा हुआ है। देश की 100 करोड़ से अधिक की आबादी इस घटना पर आक्रोशित है। भारत साधु-संतों का देश रहा है और यह घटना भी साधु-संतों से जुड़ा हुआ है। वर्षों से कांग्रेस और एनसीपी की भूमिका महाराष्ट्र में संदिग्ध रहा है। पालघर की घटना में घटनास्थल पर मौजूद महाराष्ट्र पुलिस की भूमिका भी संदेह से घिरा हुआ है। महाराष्ट्र सरकार कि भी इस मामले में अभी तक की भूमिका संदेह के दायरे में है। महाराष्ट्र सरकार की नीयत ठीक नहीं है और पालघर की घटना पर भी देश से कुछ ना कुछ छुपाना चाह रही है। महाराष्ट्र सरकार असली गुनहगारों को बचाने पर तुली हुई है। महाराष्ट्र की वर्तमान सरकार की कार्यशैली से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वह अपने आपको देश के अन्य राज्यों की तुलना में सुप्रीम समझ रहा है।

वर्मा ने कहा कि महाराष्ट्र में शरद पवार की पार्टी एनसीपी और कांग्रेस का शुरू से ही महाराष्ट्र के कई जिलों में सक्रिय, देश विरोधी गिरोहों पर सीधा संरक्षण रहा है। इन्हीं दोनों पार्टियों का संरक्षण पाकर महाराष्ट्र में कई माफिया गिरोह सक्रिय है । जबसे इनकी गठबंधन में महाराष्ट्र में सरकार बनी है तभी से उन माफियाओं का मनोबल और भी बढ़ा है और उन लोगों ने तांडव मचाना शुरू कर दिया।

पप्पू वर्मा ने कहा कि पालघर की घटना में मारे गए संत सुशील गिरी महाराज, उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिला के निवासी थे जबकि संत महाराज कल्पवृक्ष गिरि भी उत्तर प्रदेश के भदोही जिला के निवासी थे। दोनों जूना अखाड़े से जुड़े हुए थे। इस घृणित हत्याकांड का पूर्ण खुलासा तभी होगी जब सीबीआई जांच करेगी। इसके लिए दोनों संतों के परिजनों या जूना अखाड़े से जुड़े संत सहयोगियों को उत्तर प्रदेश में ही अपने-अपने तहसील में अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज कराना होगा। इसके बाद ही प्राथमिकी के सूचकों द्वारा सीबीआई जांच की मांग किए जाने पर उत्तर प्रदेश सरकार को सीबीआई की जांच का अनुशंसा केंद्र सरकार के पास करना संभव हो सकेगा। यही जरूरी है। भारत की आम जनता भी यही चाहती है। जनता पालघर की घटना का पूर्ण खुलासा के लिए उत्सुक हैं।