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साहित्य सम्मेलन में कविता की फुहार में भीगे श्रोता

पटना: रिश्तों के यहां पल-पल संसार बदलते हैं, रह रोज कहानियों में किरदार बदलते हैं। होठों पर मुहब्बत है, आँखों में तिजारत है, इंकार बदलते हैं, इकरार बदलते हैं। उक्त ग़ज़ल बिहार हिंदी साहित्य सम्मलेन में आयोजित महफ़िल-ए-लफ्ज़ में समीर परिमल द्वारा सुनाया गया। इस कार्यक्रम में युवा कवियों द्वारा पेश वीर रस और प्रेम रस की कविताओं ने श्रोताओं को ताली बजाने पर मजबूर कर दिया। यह आयोजन ‘आज उठी है आवाज’ की ओर से महफिल-ए-लफ्ज के बैनर तले किया गया। इसके संयोजन में पीके परिवार ने भी महत्वपूर्ण साझेदारी निभाई। वक्ताओं ने बताया कि इस मंच का उद्देश्य युवा कवियों को एक दिशा देना है। इसकी अध्यक्षता समीर परिमल ने किया। इस मौके पर चन्दन द्विवेदी, सागर आनंद, राणा वीरेंद्र सिंह, अभिलाषा सिंह, आराधना प्रसाद मौजूद थी। वहीं मंच संचालन अश्विनी और अभिलाषा सिंह ने किया।
वंदना