बहुचर्चित रुपेश हत्याकांड का खुलासा कर पुलिस ने ऋतुराज को गिरफ्तार कर ढोल पीट दी है। बावजूद इसके जनमत के भारी दबाव के बाद पुलिस महकमा राज्य सरकार की छवि बनाने के लिए अलग से कसरत कर रही है!
दरअसल, पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ बिहार में फिर से एक बार नई सुपारी किलर गिरोह सक्रिय हो गया है। यह सुपारी किलर गिरोह बिल्कुल उत्तरप्रदेश के डॉन शिवप्रकाश शुक्ल की तरह है, जो पैसे लेकर किसी की भी हत्या कर देता था। इस तरह का गिरोह बिहार व उत्तर प्रदेश में 90 के दशक में सुपारी किलर का काम किया करता था।
बिहार में पनप रहा 90 की तरह सुपारी किलर गिरोह
इसके सरगना ज्यादातर अत्यंत कम आयु वर्ग के लोग होते थे, जैसे 90 के दशक में यूपी के गोरखपुर के मामखोर गांव का नवयुवक शिवप्रकश शुक्ल था। वर्तमान में बिल्कुल उसी तरह का सुपारी किलर का गिरोह बिहार में फल-फूल रहा है। इस तरह के गिरोह का सरंक्षक अपराध की दुनिया से निकलकर खादी पहनकर बाहुबली नेता की छवि से जाने जा रहे हैं। वैसे नेता जो कैमरे के सामने जनता का सेवक बन रहे हैं। लेकिन, अंधेरी रात में काली करतूतों का व्यापार कर रहे हैं। जिनका धर्म केवल पैसा होता है और कर्म लोगों के बीच दहशत फैलाकर अपनी भयानक छवि उनके मन मस्तिष्क में बैठाना। वहीं, पुलिस सूत्रों के अनुसार बिहार में पुनः इस प्रकार का गिरोह पनप रहा है।
एसएसपी का दावा, ऋतुराज ही है हत्यारा
अब आते हैं रूपेश हत्याकांड पर, जिसको लेकर पटना एसएसपी ने मजबूती से दावा किया है कि रूपेश सिंह का हत्यारा ऋतुराज है। लेकिन, पुलिस के इस दावे को लोगों के बीच सच नहीं माना जा रहा है। लोगों द्वारा यह कहा जा रहा है कि जब इससे पहले ऋतुराज ने न कभी गोली चलाई, न उसकी कोई खास दुश्मनी रुपेश से रही, फिर वह एक छोटी सी बात को लेकर हत्या क्यों करेगा?
कल का गैंगस्टर वर्तमान में राजनेता
इस हत्याकांड को लेकर दूसरा पहलू यह भी कह रहा है कि रूपेश सिंह की हत्या तो ऋतुराज ने किया है, लेकिन इसके लिए ऋतुराज को ठेका दिया गया था। अगर ठेके की बात सच मानी जाए तो यह सवाल उठता है कि ऋतुराज को रूपेश सिंह की हत्या करने के लिए ऋतुराज को ठेका किसने दिया था? वहीं एक गुट में चर्चा यह भी है कि रूपेश हत्याकांड में अप्रत्यक्ष रूप से कई ऐसे लोग जुड़े हुए हैं,जो पहले बहुत बड़े गैंगस्टर थे और वर्तमान में राजनेता भी हैं।
चुनाव लड़ना चाहते थे रूपेश
इसके साथ ही कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि वे मढ़ौरा से चुनाव लड़ना चाहते थे। सामाजिक कार्यों में हमेशा से सक्रिय रहे रूपेश सिंह मढ़ौरा से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे। जब भी मौका मिलता था, अपने गांव व छपरा के आसपास के गांव में सामाजिक कार्यों में भाग लेते थे। इसको लेकर रूपेश सिंह ने कुछ करीबी लोगों से लोजपा के सिम्बल से चुनाव लड़ने का सोच रहे थे, लेकिन चुनाव नहीं लड़े।
डेढ़ महीने बाद निकला गुस्सा
वहीं पुलिस महकमे की मानें तो ऋतुराज की रूपेश सिंह के साथ एक दुर्घटना हुई थी, जिसके बाद रुपेश ने ऋतुराज को पीटा था। इसको लेकर ऋतुराज गुस्से में था और लगभग डेढ़ महीने से वह रूपेश की हत्या करने का प्रयास कर रहा था। यानी वह नवयुवक ने गुस्से को अपराधबोध के साथ डेढ़ महीने तक ढोया और रुपेश सिंह के घर के पास ही गोलियों से छलनी कर दिया।
हॉट टॉक या पार्किंग विवाद
ज्ञातव्य हो कि रूपेश हत्याकांड को लेकर सबसे पहले डीजीपी ने कहा था कि एयरपोर्ट पार्किंग के ठेके को लेकर रुपेश का कुछ लोगों संग विवाद चल रहा था। रूपेश के परिवार के कई लोग ठेके में शामिल थे। वहीं, एक अन्य पहलू, जिसकी चर्चा दबी जुबान कहीं न कहीं हो रही है। इस चर्चा को लेकर कहा जा रहा है कि ठेकेदारी को लेकर प्रदेश के एक बड़े अधिकारी के साथ हॉट टॉक हुआ था। इसके बाद उस अधिकारी का ईगो हर्ट हो गया और अनबन शुरू हो गई! वैसे इस बात में कितनी सच्चाई है यह अपने आप में एक रहस्य है।
सुशासन की छवि को बुलंद रखने के लिए पुलिस कर रही कसरत
बहरहाल, पूरी घटनाक्रम को समझने के लिए सारा तंत्र लगा हुआ है। वहीं, इस तरह की घटना के बाद लोगों को 90 का दशक याद आने लगा है। जब शार्प शूटर रंगबाजी व अय्याशी में चूर होने के कारण किसी की भी ह्त्या कर इलाके में दहशत पैदा कर दिया करता था। चर्चाओं के मुताबिक़ वर्तमान में बिहार में इसी तरह का गिरोह काम कर रहा है। हालांकि, पुलिस महकमा सुशासन की छवि को बुलंद रखने के लिए अलग से कसरत कर रही है।