नेपाल में भारतीय समाचार चैनलों के प्रसारण पर रोक

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संजय उपाध्याय

नेपाल मे भारत के निजी. समाचार चैनलों के प्रसारण पर रोक लगा दी गई है। सिर्फ भारतीय दूरदर्शन का ही वहां पर प्रसारण होगा। यह पहली बार है जब भारत के निजी समाचार चैनलों पर पाबंदी लगायी गई है। इसके पीछे कारण बताया गया कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की इसके माध्यम से आलोचना और दुष्प्रचार हो रहा है।

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस फरमान से वहां की हिन्दी जनता हिल गई है। नेपाल के करीब 60 प्रतिशत क्षेत्रफल मधेस की जद में है। सभी मधेसी हिन्दी ही बोलते हैं। हालांकि भारत की मैथिली और भोजपुरी भी वहां धड़ल्ले से बोली जाती है। तराई से लेकर राजधानी काठमांडू तक हिन्दी ने सदियों से अपनी मजबूत जगह बनायी हुई है।

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चीनी व पाकिस्तानी चैनलों पर रोक नहीं
हैरतअंगेज यह है कि पाकिस्तानी और चीनी समाचार चैनलों पर रोक नहीं लगायी गई है। नेपाली सरकार का मानना है कि भारतीय चैनल तथ्यों को तोड़मरोड़ कर प्रस्तुत करने के साथ-साथ प्रधानमंत्री ओली की आलोचना करती रही है।
सूत्रों ने बताया कि कल देर शाम सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने केबल आॅपरेटरों को आदेश दिया कि भारतीय समाचार चैनलों को नेपाल में एयर होने से अविलम्ब रोक दी जाए। कल अर्थात 11 जुलाई से प्रसारण बिल्कुल रूक जाएगा। नेपाल में रह रहे लाखों भारतीय अपने देश की खबरों से वंचित हो जाएंगे।

पर्दे के पीछे चीन की माॅडल महिला राजदूत चांग हाउ यांकी
गुप्तचर एजेंसियों ने बताया कि भारत विरोध की हालिया घटनाओं के पीछे चीन से आयी नेपाल में महिला राजदूत चांग हाउ यांकी की यह करतूत है। माॅडल सी दिखने वाली इस डिप्लोमैट का नेपाल के राजनीतिक सर्किल में इतना प्रभाव बढ़ गया है कि वह पक्ष-विपक्ष दोनों को अपनी अंगूलियों पर नचाने लगी है। अल्पमत में रही जब ओली सरकार पर नो-कन्फिडेन्स मोसन हुआ तो वह आधी रात में दोनों पक्षों की मीटींग बुला कर ओली सरकार को बचा ली। इसके पहले वह पाकिस्तान में अम्बेसडर थी। वहां भी चीनी मिशन को सफलतापूर्वक आॅपरेशन कर चीन लौट गई थी। कुछ दिनों तक वह साएथ एशिया टेबल को डील करती रही और फिर चीनी सरकार ने उसे नेपाल भेज दिया।

चीनी गुड़िया बनी नेपाल यूथ की फैन
हाउ यांकी की नेपाल में बढ़ती लोकप्रियता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि एक बार माॅडल-टाईप बड़ा-सा पोस्टर उसने काठमांडू के मुख्य चैराहे पर लगायी। महज पोस्टर देखने के लिए युवकों की भारी भीड़ एकत्र हो गई। उसे नेपाली युवक प्यार से चीनी गुड़िया भी कहने लगे। है भी नूर-हुर-सी सुन्दर। उसे चीनी, नेपाली, अंग्रजी और हिन्दी-उर्दू भाषा पर भी पकड़ है। वह नेपाल के विभिन्न सामाजिक-संास्कृतिक समारोहों में शिरकत करती रहती है। उसने नेपाल के पर्यटन को बढावा देने के लिए कई कार्यक्रम किए। उसकी नीति में है कि चीन के अधिक से अधिक लोग नेपाल आएं। वह नेपानी-चीनी संयुक्त प्रतियोगिताओं का आयोजन भी करती रहती है।

सूत्रों ने बताया कि गलवान घाटी की लड़ाई का जब विश्लेषण भारतीय चैनलों ने शुरू किया तो नेपाल के लोग उसे चाव से देखते थै। बहस-मुहासिबा भी होती थी। इसी बीच, भारतीय चैनलों ने यह भी दिखाया कि चीन ने नेपाल के एक बड़े भूभाग को अपने कब्जे में कर लिया है। यह उसे नागावार गुजरा क्योंकि नेपाली जनमानस पर चीन को एक विस्तारवादी देश लोग समझने लगे। नेपाल में उक्त भूभाग को लेकर आक्रोश भी उभरा, पर ओली सरकार ने उसे चीनी गुड़िया के दबाव पर दबा दिया। यही नहीं भारतीय मीडिया ने यह भी दिखाया कि चीन कैसे मांउट एवरेस्ट के नेपाली भूभाग पर 4जी टेक्नोलाॅजी इन्सटाॅल कर नेपाल के इन्फार्मेशन वेव को अपने कब्जे में कर सकता है। यह भी लेडी अम्बेसडर को ठीक नहीं लगा। उसके नेपाल में प्रतिनियुक्ति के बाद ही विवादित नक्शा संसद से पास हुआ।

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