पटना : जबसे प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी नई पारी शुरू करते हुए ‘सबका विश्वास’ जीतने की बात कही, तभी से देश के अल्पसंख्याकों ने उन्हें हाथोंहाथ लेना शुरू कर दिया। इसकी ताजा मिसाल हमें बिहार में नीतीश कैबिनेट के मुस्लिम मंत्री खुर्शीद आलम के रूप में देखने को मिला, जो बिहार में प्रधानमंत्री मोदी का सबसे बड़ा भक्त कहलाने में गर्व महसूस करने लगे हैं। हालांकि उनकी पार्टी जदयू ने प्रधानमंत्री के तीन तलाक बिल का विरोध किया है, लेकिन श्री आलम उनके इस बिल को अल्पसंख्यकों के हित में उठाया जाने वाला एक सुधारवादी बिल मानते हैं।
बकौल मंत्री आलम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आने वाले समय में सभी गलत धारणाओं को तोड़ देंगे और देश के अल्पसंख्यकों का विश्वास जीत लेंगे। उन्होंने इसकी शुरुआत भी कर दी है। जिस तरह से उन्हें पूरे भारत में प्रचंड बहुमत मिला इससे स्पष्ट है कि कहीं न कहीं उनमें लोगों को विश्वास है।
अल्पसंख्य कल्याण के कामों को तरजीह
सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास की नीति पर आगे बढ़ते हुए पीएम मोदी ने 5 हजार छात्रों को स्कॉलरशिप देने की पहल की। नीतीश कैबिनेट के मंत्री खुर्शीद आलम ने बताया, मुस्लिम बच्चियों की शादी के लिए 51 हजार देने की बात हो रही है, मदरसों को हाईटेक बनाने की ओर देश की सरकार काम करने लगी है, एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में लैपटॉप की बात हो रही है, जहां वक्फ की जमीनें हैं, वहां मार्केट बनाए जा रहे हैं। ये सारे कार्य मोदी सरकार ने अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए ही शुरू किये हैं। ऐसे में क्या मुसलमानों का फर्ज नहीं है कि वे प्रधानमंत्री पर विश्वास करें। कम से कम आज देश को एक ऐसा नेता मिला है जो मुसलमानों को महज एक मोहरा नहीं, बल्कि देश के विकास में उनकी सहभागिता सुनिश्चित करना चाहता है।
मालूम हो कि चुनावी जीत के बाद जब एनडीए की बैठक हुई तब पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि अब उनका एजेंडा—’सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ है। इसके बाद ही यह बहस छिड़ गई कि क्या नरेन्द्र मोदी मुसलमानों का दिल जीतने के मिशन पर चल पड़े हैं। अभी तो मोदी पार्ट—2 की शुरुआत है, लेकिन धीरे-धीरे ही सही पीएम मोदी मुसलमानों का विश्वास जीतने में कामयाब होने की दिशा में बढ़ते दिखने लगे हैं।