पटना ।
राज्य में परंपरागत रूप से मछली पालन में लगे लोगों का एक डाटा बनाया जाएगा, यानी मछुआरा समाज के लोगों का पूरा ब्यौरा इकट्ठा किया जाएगा। ऐसे परिवार की सूची बनाई जाएगी ।
सीधे तौर पर मछली पालन से जुड़े लोगों का निबंधन किया जाएगा। सरकार ने दरअसल इन तरह के लोगों का निबंधन करने की प्रक्रिया शुरू भी कर दी है । इसके पीछे का उद्देश्य है कि निबंधित लोगों को ही प्राथमिकता के आधार पर मछली पालन योजनाओं का लाभ दिया जा सके।
इस डाटा निर्माण से विभिन्न मत्स्य योजनाओं के कार्यान्वयन में फर्जीवाड़ा पर भी रोक लगेगी ।
खास बात यह है कि चुनाव के दौरान भी इन मछुआरों के निबंधन का काम जारी रहेगा।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक मछली पालकों को भी किसानों की तरह निबंधित करके एक आईडी नंबर दिया जाएगा। इससे उनको मछुआरा आवास मिलने से लेकर बीमा कराने में भी आसानी होगी ।सरकार ने इसे सभी जिलों में अभियान के तौर पर चलाने का निर्णय किया है। सबसे पहले मछुआरा समाज की सूची बनाई जाएगी।
विभागीय पोर्टल में ही उनके निबंधन की भी सुविधा दी गई है। राज्य में लाखों मछुआरे 3 माह तक बेरोजगार हो जाते हैं। इन 3 माह तक नदियों में शिकार माही पर रोक लगी रहती है। इससे गरीब मछुआरों के रोजी रोटी पर आफत हो जाती है । पूरा डाटा मुकम्मल तौर पर रहने से सरकार को लाभ सीधे उन तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। कुछ जिलों में डाटा संग्रहण का कार्य शुरू भी कर दिया गया है।
क्या कहते हैं मंत्री-
पशुपालन मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि सरकार पारंपरिक रूप से मछली पालन और बिक्री पर निर्भर लोगों की दशा सुधारना चाहती है इसलिए उनका डाटा बनाया जा रहा है किसानों की भांति निबंधन कराया जाएगा बिहार में एक लाख से अधिक मछुआरों का निबंधन भी हो गया है जल्द ही सभी जिलों में अभियान चलाकर मुकम्मल डाटा बना लिया जाएगा केंद्र सरकार के मत्स्य संपदा योजना से भी गरीब मछुआरों को लाभ पहुंचाया जाएगा।
Swatva Samachar
Information, Intellect & Integrity