ट्रांसफर आदेश पलटने से मंत्री हुए आहत, कहा- स्वतंत्र रूप से नहीं चला सकते विभाग फिर मंत्री होने का क्या मतलब

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पटना : राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के ट्रांसफर आदेश को मुख्यमंत्री के निर्देश पर स्थगित होने के बाद विभाग के मंत्री रामसूरत राय खासे नाराज दिख रहे हैं। मालूम हो कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के 186 सीओ स्तर के अधिकारियों का ट्रांसफर रद्द कर दिया गया है। जिसमें 149 सीओ जो कि प्रभारी अंचल अधिकारी, 27 सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी तथा दो चकबंदी अधिकारी हैं। इन सभी का तबादला पिछले महीने हुई थी।

जनप्रतिनिधियों का किया सम्मान

मुख्यमंत्री सचिवालय द्वारा हस्तक्षेप के बाद ट्रांसफर आदेश रुकने से नाराज विभाग के मंत्री रामसूरत राय ने कहा कि जब मंत्री स्वतंत्र रूप से अपने विभाग का संचालन नहीं कर सकता है, तो ऐसे में मंत्री पद पर बने रहने का क्या औचित्य है। मंत्री ने आगे कहा कि हां हमने विधायकों के सिफारिश पर अधिकारियों का तबादला किया है, जो कि मेरे अधिकार क्षेत्र में था। लेकिन, इस पर रोक लगाई गई है और इसकी समीक्षा होनी है। अब समीक्षा होने के पश्चात जिसे जहां जाना होगा वे वहां जाएंगे। लेकिन, मैंने बस वही किया, जिसकी मांग लंबे समय से विधायकों द्वारा जारी था।

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माफियाओं ने रची साजिश

तबादले को लेकर तरह-तरह के लगे आरोपों का जवाब देते हुए रामसूरत राय ने कहा कि इस विभाग पर भू-माफिया और अपराधियों ने कब्जा कर रखा है। मैं उन लोगों के प्रभाव को खत्म करने में जुटा हूं, इसी से नाराज हुए लोग इस तरह का षड्यंत्र रच रहे हैं। मेरे कार्यकाल में जमीन से जुड़े मामलों का निष्पादन पारदर्शिता के साथ हो रहा है, भू माफियाओं के अवैध कब्जे वाले जमीन पर बुलडोजर चल रहा है। जिस वजह से माफिया नाराज है। मंत्री ने आगे कहा कि मैं इस विभाग का कामकाज पिछले 20 महीने से देख रहा हूं और इस दौरान मैंने अपने निजी काम के लिए 20 दिन भी नहीं निकाल पाया हूं।

अधिकार ही नहीं तो जनता दरबार क्यों लगाऊं?

ट्रांसफर आदेश पलटने से आहत मंत्री ने कहा कि अब मैं जनता दरबार नहीं लगाऊंगा। जब मेरे पास स्वतंत्र रूप से विभाग चलाने का अधिकार ही नहीं रहेगा, तो फिर मैं जनता से जुड़े मामलों का निष्पादन कैसे कर पाऊंगा। मंत्री ने अप्रत्यक्ष रूप से जनप्रतिनिधि तैर जनता को यह संकेत दिया है कि विभाग का संचालन जहां से हो रहा है, आप मामलों का निष्पादन भी वहीं से करवाएं।

इन वजहों से स्थगित हुआ ट्रांसफर आदेश!

ट्रांसफर आदेश स्थगित होने का यह कारण दिया जा रहा है कि कुछ तबादले नियम के विरुद्ध हुए हैं, जैसे निर्धारित 3 साल का कार्यकाल पूरा नहीं होने से पहले ही अधिकारियों का तबादला कर दिया गया है। इसके साथ ही सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी का तबादला वैसे जिलों में किया गया है, जहां अभी जमीन का सर्वे नहीं हो रहा है। बल्कि, जिन जिलों में जमीन का सर्वे जारी है वहां ऐसे अधिकारियों की कमी है। इसके साथ ही अधिकारी जिस जिले से जिस प्रखंड से ताल्लुक रखते हैं, उसी जिले के अन्य प्रखंड में उनका तबादला किया गया था। इसके साथ ही ट्रांसफर में बड़े पैमाने पर लेनदेन की भी बातें सामने आई थी।

बिहार में यह एक ऐसा विभाग है, जिसके इस स्तर के अधिकारियों का तबादला सभी दलों के प्रमुख नेता अपने अनुसार अपने पसंदीदा अधिकारियों का अपने क्षेत्र में कराना चाहते हैं, जिसे लेकर विवाद स्वाभाविक है ।

बहरहाल, इस मुद्दे को लेकर बिहार भाजपा के प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि मामला ज्यादा पेचीदा नहीं है, तकनीकी वजहों से ऐसी समस्या सामने आई है। बहुत जल्द मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मामले को निपटा लेंगे। ऐसी उम्मीद मुख्यमंत्री से है।