कहां है बिहार का जलियांवाला बाग? पीएम मोदी के मन की बात पर सीएम नीतीश ने दी सौगात
पटना : कल 15 फरवरी मुंगेर के तारापुर के लिए ऐतिहासिक दिन होगा। आजादी के इतने बरस बीतने के बाद यहां के शूरवीरों की शौर्य गाथा को एक वाजिब मुकाम और सम्मान हासिल होगा। वह भी तब जब पिछले माह पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में देशभक्तों पर अंग्रेजों द्वारा गोलीबारी की घटना को याद किया। प्रधानमंत्री ने मन की बात में तारापुर गोलीकांड का जिक्र किया था। इसी के बाद राज्य सरकार को भी चेत हुआ और अब कल तारापुर थाना परिसर के सामने शहीदों की याद में बने स्मारक का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उदघाटन करने वाले हैं।
तारापुर गोलीकांड को नहीं मिली पहचान
बिहार के जलियांवाला कांड के नाम से मशहूर तारापुर में घटित गोलीकांड की घटना से लोग अवगत नहीं हैं। 15 फरवरी 1932 को हुए इस गोलीकांड का जिक्र राष्ट्रीय स्तर पर उस तरह से नहीं हुआ जैसे जलियांवाला की घटना का। उस समय तारापुर के सैकड़ों युवकों के बलिदानी जत्थे ने ब्रिटिश हुकूमत के पुलिस थाने पर लगे ब्रिटिश यूनियन जैक को उतार तिरंगे को फहरा दिया था। फिलहाल तारापुर थाना उसी स्थल पर है। पीएम की चर्चा के बाद सीएम नीतीश भी चेते और इसे स्मारक प्रतीक के रूप में विकसित कराया।
अंग्रेजों की गोली से 34 लोग हुए थे शहीद
सरकारी अभिलेखों के अनुसार 34 लोगों को थाने पर झंडा फहराने में जान गंवानी पड़ी थी। इनमें भी मात्र 13 लोगों की ही शिनाख्त हो पाई। 21 लोगों की पहचान अब भी नहीं हो पाई है। इसका कारण यह बताया जाता है कि अंग्रेजों ने सबके चेहरे पर काला रंग पोत दिया था और शवों को 18 किमी दूर ले जाकर गंगा में बहा दिया था।
बिहार के देशभक्तों को मिलेगा उचित सम्मान
यह गुलाम भारत के बिहार में अंग्रेजों के जुल्म की पराकाष्ठा थी। इस क्रांति में अभिजात्य कुलीन वर्ग से लेकर समाज के अंतिम पायदान पर बैठे तबके की भी सहभागिता रही। सामाजिक समन्वय और समरसता के दम पर अंजाम दी गई इस घटना ने निकट भविष्य में ब्रिटिश शासन के खात्मे का उसी समय संकेत दे दिया था। तारापुर क्षेत्र के सभी सरकारी प्रतिष्ठान को स्थानीय क्रांतिकारियों ने अपने कब्जे में लेकर कुछ दिनों के लिए समानांतर सरकार की स्थापना कर दी थी। तारापुर की यह क्रांति स्वतः स्फूर्त, स्वप्रेरित और सामाजिक समन्वय का अतुल्य उदाहरण थी।