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पारस को हराने वाले चंदन राम मुखिया चुनाव में हारे, रहा 5 वां स्थान

पटना : बिहार में हो रहे पंचायत चुनाव में जहां नया चेहरा देखने को मिल रहा है तो कई दिग्गजों तथा उनके परिजनों को मुंह की खानी पड़ रही है। इसी बीच एक ऐसा ही मामला खगड़िया जिले का है। जहां मोदी सरकार में मंत्री पशुपति कुमार पारस को हराकर राजद के टिकट पर विधायक बने चंदन राम को मुखिया चुनाव में करारी हार मिली है।

चंदन राम तेतराबाद पंचायत से मुखिया पद से चुनाव लड़ रहे थे

दरअसल, खगड़िया के अलौली विधानसभा क्षेत्र के राजद के विधायक रहे चंदन राम तेतराबाद पंचायत से मुखिया पद से चुनाव लड़ रहे थे। चुनाव परिणाम आने के बाद मुखिया पद के प्रत्याशी राजद विधायक चंदन राम अपने पंचायत में पांचवे स्थान पर रहे। चंदन राम को हराने वाले मुखिया पद के प्रत्याशी नंदकेश उर्फ मुन्ना कुमार को 1737 वोट मिला वही चंदन राम को मात्र 567 वोट मिले। उनके साथ ही पूर्व विधायक चंदन कुमार के छोटे भाई पिंटू कुमार जो कि जिला परिषद क्षेत्र संख्या 4 से जिला परिषद सदस्य के लिए चुनाव लड़ रहे थे को भी इस बार हार मिली।

पांच साल विधायक रहते हुए उन्होने क्षेत्र में कोई विकास नहीं किया

वहीं, जिस तरह से राजद के पूर्व विधायक चंदन राम मुखिया पद से चुनाव हार गए हैं उससे पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है। लोगों का कहना है कि पांच साल विधायक रहते हुए उन्होने क्षेत्र में कोई विकास नहीं किया तो फिर मुखिया पद पर लोग कैसे विश्वास करते।

चंदन राम थे एक शिक्षक राजद ने 2015 में दिया था टिकट

मालूम हो कि चंदन राम एक शिक्षक थे और राजद ने 2015 में खगड़िया के अलौली विधानसभा से जब उनको विधानसभा चुनाव का टिकट दिया उसके बाद वो शिक्षक पद से त्यागपत्र देकर चुनाव लड़े थे। इस चुनाव में उन्होने लोजपा के प्रत्याशी और फिलहाल केंद्र में मंत्री पशुपति कुमार पारस को चुनाव में हरा दिया था और काफी सुर्खियां बटोरी। पिछले साल यानी वर्ष 2020 में राजद ने अलौली विधानसभा से चंदन का टिकट काट दिया और रामवृक्ष सदा को टिकट दिया था और वह चुनाव जीत गए।