सत्ता में रहते जातीय जनगणना क्यों नहीं करा सके लालू और कांग्रेस- भाजपा
कांग्रेस और राजद के दोहरी नीति और दोगली चरित्र के चलते जनता ने देश मे आज नकार दिया
पटना : जातीय जनगणना को लेकर इन दिनों बिहार की सियासत में बयानबाजी तेज है। इसपर भाजपा का कहना है कि केंद्र सरकार का निर्णय सही है, जातीय जनगणना नहीं होनी चाहिए। वहीं, जदयू-राजद समेत अन्य क्षेत्रीय दलों का कहना है कि जातीय जनगणना समाज के लिए अति आवश्यक है। इसके बगैर समाज के विभिन्न वर्गों का उत्थान संभव नहीं है।
जातीय जनगणना के लिए सियासत
इसी को लेकर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अरविन्द कुमार सिंह ने कहा है कि जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और बिहार में राजद की सरकार थी, तब कांग्रेस और राजद का देश और राज्य में डबल इंजन की सरकार थी। उस समय वे हिम्मत नहीं कर सके कि जातीय जनगणना इस देश में हो। कर्नाटक जैसे राज्य में जब कांग्रेस की सरकार थी। तब वहां जातीय जनगणना कराया भी तो उसको लागू नहीं किया। आज जातीय जनगणना के लिए सियासत कर रहे हैं और इनका जोश में उबाल आ रहा है। जब जनता ने इनको अवसर दिया था उस समय इन्होंने कराया नहीं। उस समय दोनों दल यानी कांग्रेस और राजद घोटालों में व्यस्त थी।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को अपने पिता, जो उस समय के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और गठबंधन के सहयोगी कांग्रेस पार्टी से पूछना चाहिए कि जब उनको अवसर मिला था। तब उनकी डबल इंजन की सरकारें थी, तो वे क्यों जातीय जनगणना नहीं करा सके। अब सियासी बेरोजगारी दूर करने के लिए यह जनगणना की खेल शुरू किए हैं।
देश की जनता को विकास की राह पर अग्रसर
भाजपा नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस देश की जनता को विकास की राह पर अग्रसर कर दिए हैं। सबका साथ सबका विकास के मूल मंत्र के साथ देश की जनता चल चुकी है, तो यह लोग जातीय जनगणना के नाम पर जनता को गुमराह करने में लगे हैं। क्योंकि, इनकी सियासी बेरोजगारी दूर हो सके।
अरविन्द ने कहा कि 4,28,000 जातियों का जनगणना नहीं कराया जा सकता है। कोई कंप्यूटर में उसका कॉलम नहीं बन सकता है। 1931 में जो जनगणना हुई थी मात्र 24 जातियों की ही हुई थी। वैसे केंद्र सरकार ने राज्यों को स्वतंत्र कर दिया है कि जो भी राज्य अपने खर्चे पर जनगणना कराना चाहते हैं वह जातीय जनगणना करा सकते हैं।