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पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती : हमारी राष्ट्रीयता का आधार भारत माता हैं, केवल भारत नहीं

पटना : भारतीय जनसंघ के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 1916 में आज ही के दिन यानी 25 सितंबर को हुआ था. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत तमाम नेताओं ने श्रद्धांजलि दी। इसी कड़ी में बिहार भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अरविन्द कुमार सिंह ने भी पं.दीनदयाल उपाध्याय जी की 105 वी जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।इसके साथ ही अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि पंडित दीनदयाल जी ने कहा था ‘ हमारी राष्ट्रीयता का आधार भारत माता हैं, केवल भारत नहीं। माता शब्द हटा दीजिये तो भारत केवल जमीन का टुकड़ा मात्र बनकर रह जायेगा मैं ऐसे महान व्यक्तित्व को नमन करता हूं।

दीनदयाल जी के दर्शन का विस्तार आगे

अरविंद सिंह ने कहा कि आधुनिक पश्चिमी दर्शन विचारक बैंथम और मिल की विचारधारा, जो उपयोगितावाद (Utility Theory) की अवधारणा को बल देती है, इस अवधारणा ने दुनिया भर में इन मूल्यों का विस्तार किया कि शासन व्यवस्था को अधिकतम लोगों के अधिकतम हित के लिए उपयोग में लाना चाहिए। दीनदयाल जी के दर्शन का विस्तार इससे भी आगे है।

कल्याणकारी कल्पना के साथ आगे बढ़कर मनुष्य का भला करना चाहिए

पंडित दीनदयाल जी ने एकात्म मानव दर्शन में कहा है कि “हमें मनुष्य के साथ प्रकृति और उसके अस्तित्व के आधार को भी समाहित करते हुए कल्याणकारी कल्पना के साथ आगे बढ़कर मनुष्य का भला करना चाहिए”।

व्यक्तिगत हित के बजाय सामाजिक हित को प्राथमिकता

इसलिए एकात्म मानव दर्शन की व्यापकता पार्यावरण द्वारा उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का उत्तर देने मे सक्षम है। दीनदयाल जी की राजनीति में नैतिक आचरण की कल्पना व्यक्तिगत हित के बजाय सामाजिक हित को प्राथमिकता देती है।

सामूहिक मन की अवधारणा को विस्तार

अरविन्द ने कहा है कि दीनदयाल जी का राष्ट्र धर्म हमारे सामूहिक मन की अवधारणा को विस्तार देता है, जो कि नागरिक धर्म के प्रति भी सचेत करता है। दुनियां की विभिन्न विचारधाराओं में धर्म आधारित नैतिकता सिर्फ हमारे बाहरी जीवन को ही संयमित करती है, परन्तु दीनदयाल जी की विचारधारा उस परम्परा में और भी आगे बढती है जहां हम बाहरी जीवन के आवरण से ऊपर उठ कर विश्व की व्यापकता के भाव के साथ जुड़ते हैं।

राजनैतिक दर्शन “सर्वे भवन्तु सुखिनः” की अवधारणा पर आधारित

सिंह ने कहा है कि दीनदयाल जी का राजनैतिक दर्शन “सर्वे भवन्तु सुखिनः” की अवधारणा पर आधारित गरीबों को- न्याय / समतामूलक समाज / सत्ता का विकेंद्रीकरण / सामूहिक कल्याण / नैतिक मूल्यों पर आधारित शासन पद्धति / पर्यावरण संतुलन एवं संपूर्ण जगत से एकात्म अनुभूति का दर्शन है।

भाजपा को देश सेवा का अवसर

आज जब देश की जनता ने भाजपा को देश सेवा का एक अवसर दिया है तो हम सब प्रण करें कि दीनदयाल जी के विचारों से प्रेरणा लेकर हम सबके कल्याण के कार्यक्रमों को आगे बढाएंगे।