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आवंटन रहते अब तक नहीं मिल सका चीनी मिल के स्थायी कर्मचारियों का बकाया राशि

नवादा : जिले के वारिसलीगंज के बंद चीनी मिल के 122 स्थायी कर्मचारियों के वेतन आदि मद का बकाया राशि आवंटन के बाबजूद विगत दो बर्षो से भुगतान बाधित है।जिस कारण संबंधित कर्मचारियों व उनके आश्रितों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। इस आशय की जानकारी देते हुए चीनी मिल के सेवा निबृत फिटर साबिर खां ने कहा कि पिछले दो बर्षो से चीनी मिल के नियमित कर्मचारियों के बकाया मद का 13 करोड़ 78 लाख रुपया जिला पदाधिकारी के पास वितरण के लिए भेजा गया है। लेकिन अंकेक्षण नहीं होने के वजह से कर्मचारियों का भुगतान बाधित है।

फलतः सैकड़ो सेवा निबृत स्थाई कर्मचारियों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है। इन कर्मचारियों के द्वारा बकाया राशि का भुगतान के लिए नवादा सांसद चंदन सिंह, क्षेत्रीय विधायक अरुणा देवी समेत तत्कालीन जिलाधिकारी कौशल कुमार समेत मुख्यमंत्री सचिवालय एवं राज्य के प्रधान सचिव, चीनी मिल के महाप्रबंधक आदि से बकाया राशि का शिघ्र भुगतान करवाने को ले करीब डेढ़ बर्ष पूर्व लिखित मांग पत्र सौंपा गया है।

इसके बाबजुद अब तक राशि का भुगतान नहीं होने से मिल के स्थायी सेवा निबृत कर्मचारियों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है। बकाया मिलने की आस में हैं आश्रित:-1993 में बंद हो चुके चीनी मिल के दर्जनों स्थाई कर्मचारी बकाया मिलने की आस लिया परलोक सिधार चुके हैं। अपने पिता के निधन बाद उनके आश्रित राशि भुगतान की आस में आज भी बंद मिल के कालोनी में किसी प्रकार रह रहे हैं।

मिल के सेवा निबृत मेसेनिष्ट समस्तीपुर निवासी स्व मो सहाबुद्दीन अंसारी का पुत्र इम्तेयाज़ अंसारी, फार्म मेट पटना निवासी स्व पन्ना लाल का पुत्र मोनू, पटना के खगौल निवासी पिउन स्व दुर्गा प्रसाद का पुत्र विमलेश कुमार, मुजफ्फरपुर निवासी इलेक्ट्रिशियन स्व राम उचित लाल का पुत्र छोटन प्रसाद, मुंगेर निवासी फोरमैन स्व केबी गुप्ता का पुत्र शक्ति कुमार पपु, यूपी के वाराणसी निवासी लेखा लिपिक स्व बीएन लाल का पुत्र मोनू कुमार, यूपी के मऊ निवासी रोकड़पाल स्व रामवतार राम का पुत्र पंकज कुमार समेत दूर दराज के दर्जनों आश्रित व विधवा आज भी मिल कालोनी में रह कर भुगतान मिलने की आस लगाए हैं।

दूर दराज के दर्जनो स्थाई कर्मचारी बिना लाभ लिए स्वर्गवासी हो चुके हैं। जबकि उनके निधन बाद भी आश्रित सेवा लाभ का करोड़ो रूपये मिलने की आस में टकटकी लगाए हैं। अब सरकार बंद चीनी मिल को भी बियाडा को सौप चुकी है। बाबजुद स्थाई कर्मचारियों का बकाया राशि जिला खाते में शोभा बढ़ा रही है। और कर्मचारी व उनके आश्रित आर्थिकतंगी से जूझने को विवश हैं।