नई दिल्ली : भारतीय जन संचार संस्थान में आयोजित हिंदी पखवाड़े का समापन 28 सिंतबर को ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति और भारतीय भाषाएं’ विषय पर आयोजित वेबिनार से होगा। इस कार्यक्रम में देश के प्रमुख विद्धान अपने विचार व्यक्त करेंगे।
भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने बताया कि इस वेबिनार में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कुलदीप चंद्र अग्निहोत्री मुख्य अतिथि होंगे, जबकि अध्यक्षता महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी के कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा करेंगे। कार्यक्रम में प्रसिद्ध लेखिका एवं दैनिक हिंदुस्तान की कार्यकारी संपादक श्रीमती जयंती रंगनाथन मुख्य वक्ता के रूप में शामिल होंगी। वेबिनार के प्रमुख वक्ताओं के तौर पर नवभारत टाइम्स, मुंबई के पूर्व संपादक विश्वनाथ सचदेव, दैनिक जागरण, नई दिल्ली के सह-संपादक अनंत विजय और पांडिचेरी विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. सी जयशंकर बाबु अपने विचार प्रकट करेंगे।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारत सरकार ने भारतीय भाषाओं के सम्मान के लिए उठाया विशेष कदम
प्रो. द्विवेदी ने इस आयोजन के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि हाल ही में घोषित राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारत सरकार ने भारतीय भाषाओं के सम्मान के लिए विशेष कदम उठाए हैं। भारतीय भाषाओं की प्रगति से ही राष्ट्र गौरव और समाज के आत्मविश्वास एवं स्वाभिमान में भी वृद्धि होगी। भारतीय भाषाओं को सम्मान मिलने से न सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव संभव हो सकते हैं, अपितु इससे रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि हो सकती है। इसलिए संस्थान ने इस वर्ष हिंदी पखवाड़े का आयोजन भारतीय भाषाओं के बीच संवाद बढ़ाने की भावना के साथ किया है।
प्रो. द्विवेदी ने कहा कि इस वर्ष हमारा ये प्रयास था कि हिंदी पखवाड़ा संवाद और विमर्श का प्रबल माध्यम सिद्ध हो। इसलिए इस बार हमने हिंदी पखवाड़े की शुरुआत ‘भारतीय भाषाओं में अंतर-संवाद’ विषय पर चर्चा से की। हर वर्ष की तरह इस बार भी हिंदी पखवाड़े के तहत भारतीय जन संचार संस्थान में हिंदी पुस्तकों एवं पत्र-पत्रिकाओं की प्रदर्शनी, निबंध प्रतियोगिता, हिन्दी टिप्पणी एवं प्रारूप लेखन प्रतियोगिता, हिन्दी काव्य पाठ प्रतियोगिता, हिन्दी टंकण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस बार पखवाड़े के दौरान भारतीय सूचना सेवा प्रशिक्षुओं के लिए एक कार्यशाला का आयोजन भी किया गया, ताकि उन्हें रोजमर्रा के सरकारी कामकाज को हिंदी में करने के लिए प्रेरित और प्रशिक्षित किया जा सके।