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बक्सर जिले का चौगाई अंचल सरकारी रैंकिंग में अव्वल

100 से अधिक अंचल कार्यालयों में कामकाज फिसड्डी

पटना: राज्य सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी अंचल कार्यालयों के हालात ठीक नहीं हुए हैं। ऑनलाइन सेवाएं होने के बाद भी अंचलाधिकारिओं (सीओ) के पास ही सारे महत्वपूर्ण दायित्व हैं। इसलिए वहां पर दाखिल खारिज, म्यूटेशन का काम कराना अब भी टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। राजस्व विभाग ने हालांकि पिछले महीने से अंचलाधिकारियों और डीसीएलआर के कामकाज का मूल्यांकन शुरू कर दिया है, लेकिन इन अफसरों के रवैए में कोई फर्क नहीं पड़ा है ।
सरकार ने अगस्त माह का मूल्यांकन कर अंचल कार्यालयों की ग्रेडिंग कर दी है । उन्हें रेंक भी दिया है।

सोमवार को जारी इस रैंकिंग में गोपालगंज, सीतामढ़ी, बेगूसराय, मधुबनी, मधेपुरा, सहरसा आदि जिलों के कई अंचल फिसड्डी साबित हुए हैं।

अव्वल आए अंचल

अगस्त महीने की रैंकिंग में बक्सर का चौगाई अंचल अव्वल साबित हुआ है। दूसरे स्थान पर बक्सर जिले का ही चौसा अंचल है। इसके बाद कटिहार का अमदाबाद, मधेपुरा का पुरैनी, नालंदा का रहूंई, जमुई का बरहट, सोनो, सारण जिले का एकमा, पटना जिले का पालीगंज और दसवें नंबर पर गया का गुरारू अंचल है।

मालूम हो कि राज्य में 534 अंचल हैं, जिसमें टॉप 10 यही अंचल हैं। इन आंचलों में जमाबंदी की त्रुटियों में सुधार का काम भी अच्छा हुआ है। जमीनी सेवाएं लगभग 42 परसेंट हुई है। म्यूटेशन का निष्पादन भी एक संतोषजनक रहा है लेकिन लगभग में अभी भी सौ अंचलों में कामकाज की स्थिति बेहद खराब है।

विभागीय ग्रेडिंग में पाया गया कि गोपालगंज के बरौली, सिधवलिया बेगूसराय भगवानपुर, सीतामढ़ी का सुप्पी, रुनीसैदपुर ,रुन्नीसैदपुर डुमरा, रीगा, मेजरगंज सुरसंड, बेलसंड, मधुबनी का घोघरडीहा, बाबूबरही मधेपुरा का बिहारीगंज, सहरसा का सिमरी बख्तियारपुर, गया का खिजरसराय, पूर्वी चंपारण का सुगौली, पूर्णिया का बड़हरा कोठी, गोपालगंज सदर , बेलहर, चिरैया मोर हर, दुर्गावती, सोनबरसा मोतिहारी ,शेखपुरा सदर अरियरि आदि स्थानों पर अंचल कार्यालयों की स्थिति बेहद बुरी है।

ऐसा राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग अपने मूल्यांकन में मान्यता भी है। खास बात है कि सौ अंचल में कामकाज बिल्कुल कमजोर स्थिति में है। अनुमंडल में तो म्यूटेशन के अपील के बारे में भी ढिलाई बरती जा रही है। जनता से कोई पेटीशन नहीं लेकर उसे वकीलों के माध्यम से आने को कहा जाता है । मामूली खाता खेसरा की त्रुटियों को सुधारने के लिए भी 5 साल लग जाते हैं। गैर विवादित मामलों में भी लंबा समय लगता है। इससे वकीलों की मोटी कमाई होती है।

अंचलाधिकारी अभी म्यूटेशन कार्य के अलावा सरकारी भूमि एवं जल निकायों से अतिक्रमण हटाने के मामले में बिल्कुल कमजोर साबित हो रहे हैं। सरकार के प्रयासों के बावजूद गोपालगंज, सीतामढ़ी, गया, मधुबनी आदि जिलों के अंचल कार्यालयों में कामकाज दुरुस्त नहीं हो सका है। राजस्व विभाग अब लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई करेगा।