फिल्म उद्योग में एक अलग तरह का संतुलन स्थापित करेगा ओटीटी : प्रो. जय देव
कोरोनाकाल में ओटीटी का हुआ अप्रत्याशित विस्तार
पटना : पाटलिपुत्र सिने सोसाइटी द्वारा रविवार को फसबुक लाइव कार्यक्रम में ‘ सिनेमा ओवर दी टॉप’ विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया। एफटीआईआई, पुणे के अलुमनस व जानेमाने फिल्म विश्लेषक प्रो. जय देव ने उक्त विषय पर फिल्म प्रेमियों का ज्ञानवर्धन किया। प्रो. देव ने कहा कि ‘ओवर दी टॉप’ यानी ओटीटी ने फिल्म उद्योग के तय मानकों में बड़ा परिवर्तन लाया है। कोरोनाकाल में यह और भी अधिक प्रभावी हो गया है। कोरोना जनित लॉकडाउन ने इस डिजिटल मंच के लिए प्रसार के व्यापक द्वार खोल दिए हैं और विगत तीन महीनों में ओटीटी का क्षितिज विस्तार अप्रत्याशित रूप से हुआ है।
उन्होंने कहा कि ओटीटी ने निर्माण तकनीक को भी प्रभावित किया है। पहले कि फिल्मकारों में स्थापित मान्यता थी की टेलीविजन के लिए कंटेंट तैयार करते समय मग और मिड शॉट लिए जाएं, क्योंकि उसका पर्दा छोटा होता है। लेकिन ओटीटी ने यह मान्यता बदल दी। ओटीटी कार्यक्रम मतलब है एनीटाइम एनीव्हेयर सिनेमा है, जहां मॉर्निंग, मैटनी या नाइट शो का झंझट नहीं है। शुरुआत से हिंसात्मक व कामुक दृश्यों के लिए ओटीटी बदनाम रहा है। लेकिन, धीरे—धीरे इसमें सुधार हो रहा है।
प्रो. देव ने ओटीटी के उदभव के बीच पारंपरिक सिनेमाघरों की चर्चा करते हुए कहा कि ओटीटी ने छोटे फिल्मकारों को मौका जरूर दे दिया है, लेकिन सुपर सितारों को लेकर फिल्में बनाने वाले बड़े प्रोडक्शन हाउस कोरोनाकाल के बाद थिएटर खुलने का इंतजार करेंगे। वितरकों के आतंक के कारण कितने फिल्म निर्माताओं ने आत्मसमर्पण किया है, यह एक कड़वा सच है। ओटीटी ने ऐसे फिल्मकारों को निश्चित तौर पर राहत दी है।
प्रो. देव ने बताया कि ओटीटी को लेकर एक एक दिलचस्प खबर आई है कि मलयाली फिल्मों के वितरकों और सिनेमाघरों के स्टेकहोल्डर्स ने यह निर्णय लिया है कि अगर कोई फिल्मकार अपनी फिल्म को ओटीजी पर रिलीज करता है तो वह उसका साथ नहीं देंगे। यह परिवर्तन के मध्य होने वाले घटनाक्रम हैं, इससे इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि ओटीटी तमाम गुण-दोषों के बावजूद फिल्म उद्योग में एक अलग तरह का संतुलन स्थापित करेगा। परिचर्चा में शामिल सिने मर्मज्ञ डॉ. शंभु कुमार सिंह ने कहा कि ओटीटी एक प्रकार से आज का सिनेमाई नुक्कड़ है। बदले कंटेंट का दूरगामी प्रभाव हमारे समाज, संस्कृति और सभ्यता पर पड़ेगा। ग्लैमर अब दूसरे रूप में हमारे सामने आएगा।
इससे पूर्व प्रो. जय देव ने भारत में ओटीटी की शुरुआत के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि भारत में सबसे पहले 2008 में बिगफ्लिक्स नाम से ओटीटी की शुरुआत हुई थी। 2012—13 के बाद तेज इंटरनेट के आने से ओटीटी का विस्तार हुआ, विशेषकर 4जी सेवा के बाद से।
कार्यक्रम को सफल बनाने में पाटलिपुत्र सिने सोसायटी के सह—संयोजक अभिलाष दत्त की महत्वपूर्ण भूमिका रही। उन्होंने बताया कि सोसाइटी द्वारा हर महीने एक भिन्न विषय पर लाइव कार्यक्रम किया जा रहा है।