पटना : 01 दिसंबर से चल रहा सरस मेला अब समाप्त होने वाला है। सिर्फ दो दिन बचे हैं। 13 दिसंबर को बारिश के कारण मेले में लोगों की संख्या कम रही। लेकिन, शनिवार को धूप खिलने के बाद राजधानीसी मेले का लुत्फ लेने गांधी मैदान पहुंचे। रविवार तक मेला रहेगा, ऐसे में वीकेंड होने की वजह से अंतिम दो दिन भीड़ रहेगी।
बिहार के शिल्पकारों द्वारा बनायी गई अनोखे वस्तुओं के अलावा केरल का हलवा, प्रतापगढ़ का आंवले का लड्डू और बंगाल का पटुए की चप्पल खास आकर्षण हैं।
मेले में अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए पूरे बिहार से शिल्पकार, बुनकर और कई कलाकार आए हुए हैं यहां अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए।
यहां विभिन्न जिलों( मधुबनी, पूर्णिया,मधेपुरा,सहरसा) से आए हुए जीविका के द्वारा स्टॉल लगाया गया है, जहां वह अपने हाथों की कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। हाथ के बुने हुए मफलर और रंग—बिरंगे शॉल, सिल्क की साड़ियां उपलब्ध हैं।
घर को सजाने के लिए फर्नीचर के छोटे से छोटे और बड़े से बड़े सामान जैसे सोफा, झूला, बांस के बनाए हुए सामान जैसे कुर्सी, टेबल, गुलदस्ते, पेन स्टैंड, किचेन के सामान के अलावा मिथिला पेंटिंग और भी विभिन्न किस्मों की वस्तुओं का स्टॉल लगाया गया है।
इस मेले में बिहार के बाहर यूपी, दिल्ली, जम्मू—कश्मीर, राजस्थान, गुजरात, केरल, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, अरुणाचल, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम आदि जगहों से आए हुए लोग यहां अपनोस्टॉल लगाए हुए हैं।
आकर्षण का केंद्र बना हुआ है इस बार का सरस मेला-बच्चों के लिए झूले, सरस पार्क,खाने पीने के लिए बहुत सारे स्टॉल, रोज शाम विभिन्न कलाकारों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
मेले में आए हुए दर्शकों ने बताया कि हमें सरस मेला पिछले साल की अपेक्षा इस बार काफी मायनों में बढ़िया लगा।
सहारनपुर से आए हुए एक दुकानदार ने बताया कि हम इंतजार करते हैं बिहार में सरस मेला का आयोजन कब किया जाएगा। यहां सभी जगहों से अच्छी बिक्री होती है यहां के खरीदार और ग्राहक भी काफी अच्छे होते हैं।
(निशा भारती)