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क्राइम को बढ़ाने और घटाने में स्थानीय थाने की भूमिका अहम – पप्पू वर्मा

पटना : क्राइम को बढ़ाने और घटाने में स्थानीय थाने की भूमिका अहम होती है।पटना विश्वविद्यालय के सिंडिकेट सदस्य पप्पू वर्मा ने कहा कि स्थानीय थाना चाहे तो क्राइम को जड़ से समाप्त किया जा सकता है। लेकिन स्थानीय थाना पैसे कमाने के लालच में क्राइम को कंट्रोल करना नहीं चाहती है। थाना यदि चाहे तो उसके इलाके में अपराध की घटना हो ही नहीं सकती है।

आईपीएस थानेदार पर ही विश्वास करके ही करते हैं कार्य

उन्होंने कहा कि क्राइम में थाने की मुंशी का योगदान भी सबसे अहम होता है। थाना का मुंशी एक ही थाने में वर्षो-वर्ष जमे रहते है। थानेदार बदलने पर मुंशी द्वारा नये थानेदार को क्षेत्र में कहां-कहां से और किससे-किससे पैसा वसूल किया जाता है,इन सभी बातों की जानकारी नए थानेदार को दे दी जाती है। इससे नये थानेदार का भी गोरखधंधा शुरू हो जाता है। अधिकांश मामलों में घटना की सूचना थानेदार, ऊपर के अधिकारियों तक पहुंचने ही नहीं देते हैं। अधिकतर आईपीएस थानेदार पर ही विश्वास करके ही कार्य करते हैं। थानेदार और थाना के कर्मचारियों को पूरी तरह से यह जानकारी रहती है कि थाने के सीमा के अंदर कौन क्या कर रहा है।

पप्पू वर्मा ने कहा कि गैंगस्टर विकास दुबे के मामले में देखा गया है कि जब जिले की पुलिस गैंगस्टर को गिरफ्तार करने के लिए उसके गांव जाती है, तो स्थानीय थाना प्रभारी ही मुखबिर का काम करते हैं और कई निर्दोष पुलिसकर्मियों की हत्या हो जाती है। वर्मा ने प्रत्येक राज्य सरकारों से मांग किया कि थानेदार और मुंशी को एक थाने में एक ही वर्ष तक रखा जाए।सिपाही से लेकर थानेदार तक को एक जिला में केवल 3 वर्ष तक ही पदस्थापित रखा जाए। सभी पुलिसकर्मियों की आय से अधिक संपत्ति अर्जित पर नजर रखा जाए। अपराधियों से सांठगांठ या मुखबिरी के किसी प्रकार की सूचना मिलने पर उन पुलिसकर्मियों को सीधे बर्खास्त कर देने का प्रावधान किया जाए।