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चिरांद में मानस पाठ प्रारंभ, शुक्रवार को होगी गंगा महाआरती

सारण : धार्मिक नगरी चिरांद में गुरुवार की सुबह से अयोध्या से आए मानस मंडली टीम द्वारा रामचरितमानस का पाठ प्रारंभ हुआ इसके पूर्व परिषद के सचिव श्रीराम तिवारी सप्त निक तथा वैदिक पुरोहितों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच पूजन प्रारंभ किया गया। वैदिक मंत्रोच्चारण ध्वनि से पूरा वातावरण भक्ति में हो गया। हालांकि सरकारी निर्देशानुसार इस कार्यक्रम को पूरे सोशल डिस्टेंसिंग के जरिए किया जा रहा है, ताकि भीड़-भाड़ नहीं हो। साउन्ड के माध्यम से श्रद्धालुओं को मानसपाठ सुनाई दे रहा है।
चिरान्द विकास परिषद के सदस्यों द्वारा पूर्व में ही कोविड-19 महामारी के कारण भव्य आरती का कार्यक्रम टाल दिया गया है। हालांकि मानस पाठ के समाप्ति के पश्चात श्रद्धालुओं द्वारा सांकेतिक आरती तथा दीपोत्सव का कार्यक्रम बंगाली बाबा घाट पर किया जाएगा।

चिरांद विकास परिषद के सचिव श्रीराम तिवारी ने कहा कि इस बार ज्येष्ठ पूर्णिमा को चंद्रग्रहण भी लग रहा हैं। संतों का अखंड रामकथा अनुष्ठान कल पूर्ण होगा। इसके बाद चिरांद विकास परिषद से जुड़े कार्यकर्ता गंगा तट पर दूरी बनाते हुए माता गंगा की आरती करेंगे। इसके साथ ही गांव के लोग भी दूरी बनाते हुए गंगा तट पर दीप जलाकर गंगा गरिमा रक्षा संकल्प समारोह व चिरांद चेतना के महोत्सव के भव्य वार्षिकोत्सव की परंपरा को जारी रखेंगे। उन्होंने कहाकि चिरांद रामायण सर्किट का प्रमुख केंद्र है। यहां तीन नदियों के संगम पर श्रीराम व लक्ष्मण अपने गुरु विश्वामित्रजी के साथ आए थे। चिरांद की खुदाई में प्राप्त प्राचीन अवशेष इसके साक्षी हैं।

गंगा, सरयू ओर सोन के संगम पर स्थित पुरातात्विक, सांस्कृतिक व धार्मिक स्थल चिरांद में ज्येष्ठ पूर्णिमा को होने वाला भव्य समारोह इस बार रामकथा को समर्पित है। कोरोनावायरस के कारण भव्य समारोह इस बार नहीं हो रहा है। ऐसे में चिरांद स्थित अयोध्या मंदिर में अयोध्या से पधारे संतों की टोली ने गुरूवार की सुबह से संगीतमय अखंड रामायण पाठ शुरू कर दिया है। शारीरिक दूरी को बरकरार रखते हुए चिरांद विकास परिषद के तत्वावधान में हो रहे संगीतमय रामायण पाठ से एकांत गंगा तट गूंजायमान हो रहा है। संतों का कहना है कि शुद्ध भाव से भगवान श्रीराम की कथा कहने से प्रकृति जीव के अनुकूल होती है। संपूर्ण विश्व को इस संकट से मुक्त कराने के संकल्प के साथ एकांत गंगा तट पर स्थित मंदिर परिसर में संतों ने यह अनुष्ठान किया हैं।