भारतीय सिनेमा के मुकुट मणि हैं सौमित्र चटर्जी : प्रो. जय देव

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सौमित्र चटर्जी की स्मृति सभा में मंचासीन सिने मर्मज्ञ आनंद मिश्र, अमियनाथ चैटर्जी, आरएन दाश, प्रो. जय देव, गौतम दासगुप्ता (बाएं से दाएं)

पटना : सत्यजीत रे अगर भारतीय सिनेमा के मुकुट हैं, तो सौमित्र चटर्जी को उस मुकुट का मणि कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी। सौमित्र ऐसे कलाकार हुए जिन्होंने रंगमंच व फिल्म दोनों को साधा। उक्त बातें जानेमाने फिल्म विश्लेषक प्रो. जय देव ने कहीं। वे सोमवार को सौमित्र चटर्जी की स्मृति सभा में बोल रहे थे।

स्मृति सभा को संबोधित करते प्रो. जय देव

प्रो. देव ने सौमित्र चटर्जी के कर्तृत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सौमित्र दा को दुनिया भले अभिनेता के रूप में अधिक जानती हो, लेकिन वे फिल्मों में अभिनय के अलावा रंगमंच, लेखन आदि में तज्ञ थे। शैक्सपियर की कालजयी कृति ‘दी किंग लियर’ में किंग के चरित्र को कई बार सौमित्र ने मंच पर साकार किया। उन्होंने कहा कि सत्यजीत रे सौमित्र चटर्जी को उम्दा अभिनेता मानते थे। दूसरी ओर सौमित्र दा का मानना था कि उनके अभिनय को एक खास स्वरूप देने में रे का बड़ा योगदान है। अपु त्रयी की तीसरी कड़ी ‘अपुर संसार’ (1959) से चटर्जी व रे की जोड़ी बनी, जो रे के निधन तक कायम रही। अपुर संसार ने सौमित्र को विश्व स्तर पर ख्याति दिलायी। प्रो. देव ने कहा कि यह भी मजे की बात है कि चैतन्य महाप्रभु पर बन रही फिल्म के लिए सौमित्र आॅडिशन देने गए थ, लेकिन रिजेक्ट हो गए। जब उन्हें 2012 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार दिया गया, तो अपने संबोधन में उन्हें कहा कि उन्हें आज भी अपने काम पर सुबहा रहता है। यही बात उन्होंने अपनी पहली फिल्म के समय भी कही थी। उन्होंने कहा कि सौमित्र दा की काव्य संग्रह भी पठनीय है। प्रो. देव ने कहा कि यह भी उल्लेखनीय है कि आज के दिन ही सिनमा का सवा सौ साल पूरा हुआ है। आज ही के दिन यानी 28 दिसंबर 1895 को पहला सिनेमा पेरिस के ग्रैंड कैफे में दिखाया गया था।

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रंगकर्मी कुणाल ने सौमित्र चटर्जी के बारे कहा कि सौमित्र चटर्जी एक प्रतिभावान कलाकार होने के साथ—साथ भद्र बंगाली भी थे। बंग समाज की विशेषता होती है कि वे रंगकर्म या किसी भी कला व उसके कलाकारों के साथ खड़े होते हैं। बिहार में इस संस्कृति का अभाव है।

Soumitra Chatterjee (19 Jan 1935 – 15 Nov 2020)

सिने सोसायटी के उपाध्यक्ष गौतम दासगुप्ता ने सौमित्र चटर्जी के फिल्मी सफर पर प्रकाश डाला और विभिन्न निर्देशकों के साथ सौमित्र के काम की चर्चा की। बिहार आर्ट थियेटर के अमियनाथ चैटर्जी ने अपने संबोधन में कहा कि सौमित्र चैटर्जी का योगदान अविस्मरणीय है। बिहार आर्ट थियेटर के अध्यक्ष आरएन दाश ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि सौमित्र चटर्जी का जाना पूरी फिल्म जगत के लिए क्षति है। ऐसे महान अभिनेता के सम्मान में उनकी अभिनीत फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा। मंच संचालन जयप्रकाश ने किया।

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