अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए रु. 10 से भी कर सकते हैं सहयोग, विहिप का अभियान
पटना : अयोध्या में रामजन्मभूमि मंदिर का निर्माण किसी एक मंदिर का निर्माण नहीं बल्कि, हिन्दू चेतना के पुनर्जागरण का अभियान है। इस अभियान से ही देश के कई दुर्गुणें समाप्त होंगी और भारत विश्व गुरू बन पाएगा। देश के 5.25 लाख गांव और 13 करोड़ परिवारों का सहयोग भी इस अभियान को मिलेगा। बिहार में 35 हजार गांव और 1.5 करोड़ परिवारों के साथ 7.5 करोड़ हिन्दू भक्तों तक पहुंचने की उम्मीद है। उक्त बातें विश्व हिन्दू परिषद् के केन्द्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता के दौरान कहीं।
पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार में इस अभियान को गति देने के लिए श्रीरामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ने बिहार में प्रख्यात चिकित्सक पद्मश्री डाॅ. आरएन सिंह की अध्यक्षता में ‘श्रीराममंदिर निर्माण निधि समर्पण समिति’ का गठन किया है। यह पूरा अभियान पूज्य जीयर स्वामी एवं अन्य संतों के निर्देश में गठित मार्गदर्शक समिति द्वारा किया जाएगा। मंदिर निर्माण के लिए 10 रुपए, 100 रुपए और 1000 रुपए के कूपन छपवाए गए हैं। 2000 रुपए से अधिक दान रसीद के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा। 2000 रुपए से अधिक मंदिर निर्माण में सहयोग देने वालों को आयकर अधिनियम की धारा 80जी का लाभ मिलेगा।
प्रत्येक संग्रह टोली में पांच स्वयंसेवक होंगे। वे जमाकर्ता को रोज इसकी रिपोर्ट देंगे। 48 घंटे के अंदर सभी जमा राशि तीर्थक्षेत्र के बैंक खाते में जमा कर दी जायेगी। प्रत्येक जमाकर्ता के पास भारतीय स्टेट बैंक, बैंक आॅफ बरौदा और पंजाब नेशनल बैंक के तीन बैंकों में से एक के निकटतम शाखा का पंजीकृत कोड होगा। धन संग्रह में पूरी पारदर्शिता बरती जाएगी।
विश्व हिन्दू परिषद् ने निर्णय लिया है कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के सहयोग से हिन्दू समाज से अंशदान लिया जायेगा। प्रारंभ में विहिप ने लगभग 4 लाख गांव और 11 करोड़ परिवार के सहयोग से अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर एवं अन्य सुविधाओं के निर्माण का लक्ष्य रखा था। लेकिन, अब देश के 5.25 लाख गांव और 13 करोड़ परिवारों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है।
मंदिर निर्माण का कार्य लार्सन एंड टूब्रो कंपनी द्वारा किया जा रहा है। मंदिर निर्माण के अभियंता टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस के होंगे। आईआईटी मुंबई, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी चेन्नई, आईआईटी गुवाहाटी, सीबीआरआई रूड़की, लाॅर्सन एंड टूब्रो के अभियंता फाउंडेशन ड्राइंग पर काम कर रहे हैं। पूरा मंदिर पत्थर के खंडों का होगा।
मंदिर का कुल क्षेत्रफल 2.7 एकड़ होगा। इसका निर्माण क्षेत्र 47 हजार 400 वर्गफुट है। मंदिर की लंबाई 335 फीट के साथ 360 फीट होगी। मंदिर की संरचना तीन मंजिली होगी। इसमें पांच मंडप भी होंगे। भूतल पर काॅलम की संख्या 160, प्रथम तल पर 132 और द्वितीय तल पर 74 होगी। उम्मीद है कि 2024 तक श्रीराम लला मुख्य मंदिर के गर्भगृह में स्थापित हो जायेंगे और भक्तों को भव्य मंदिर में दर्शन के लिए आमंत्रित किया जायेगा।
मंदिर के साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर का पुस्तकाल, अभिलेखागार, संग्रहालय, शोध केन्द्र, यज्ञशाला, वेदपाठ शाला, सत्संग भवन, प्रसाद वितरण केन्द्र, रंगभूमि, धर्मशाला, प्रदर्शनी एवं कई अन्य सुविधाएं भी होंगी। विहिप का विश्वास है कि यह केवल एक और मंदिर का अभियान नहीं है बल्कि यह हिन्दू नवचेतना के जागरण का अभिायान है। इससे समाज की कई दुर्गुणें इस अभियान से ऊंच-नीच, गरीबी, स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल की कमियां दूर होंगे। इससे ही महिलाओं की गरिमा पुनः बहाल होंगी और आतंकवाद का दंश विश्व से समाप्त होगा। ‘सर्वे भवंतु सुखिनः’ का वैदिक लक्ष्य प्राप्त कर सभी सुखी, स्वस्थ और वेदभाव से मुक्त होगा। सभी सुखी होंगे और कोई दुःखी नहीं होगा। विश्व हिन्दू परिषद् मानता है कि यह हिन्दुओं का वैश्विक अभियान है और वह इसे प्राप्त करने के लिए आश्वस्त है।