अटल स्मृति व्याख्यान में बोले राम माधव: परमाणु शक्ति संपन्न भारत अटलजी की देन, राहुल नहीं समझेंगे
पटना : भारत स्वभाव से मित्रता रखने वाला राष्ट्र है। यह इसके डीएनए में है। लेकिन, अपनी भूमि की रक्षा को लेकर प्रतिबद्ध भी है। कांग्रेस की सरकार में चीन बलपूर्वक हमारी सीमा में घुस आता था और हम ठीक से जवाब भी नहीं दे पाते थे। लेकिन, आज परिस्थिति बदली है। उक्त बातें भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री राम माधव ने रविवार को कहीं। वे चिति द्वारा आयोजित द्वितीय अटल स्मृति व्याख्यान में बतौर मुख्य संबोधित कर रहे थे। विषय था: ‘भारत—चीन संबंध और चुनौतियां’।
राम माधव ने कहा कि 1993 में नरसिम्हा राव, 1996 में देवगौड़ा ने चीन के साथ समझौते किए। डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में तो तीन बार समझौते हुए। सिर्फ समझौते हुए, लेकिन चीनी घुसपैठ नहीं रुका। विचित्र समझौते होते थे। जैसे चीन की सीमा पर भारत का सैनिक अग्नेयास्त्र लेकर नहीं जाएंगे। बाद में समझौता हुआ कि हथियार लेकर जाएंगे, लेकिन उसकी नोक जमीन की ओर होगी। अगर चीनी सैनिकों से सामना हो भी जाता है, तो भारत के जवान वाहन घुमाकर वापस आ जाएंगे। कांग्रेस के शासनकाल में कभी किसी ने भारत—चीन के बीच संघर्ष की बात नहीं सुनी। इसका यह अर्थ नहीं है कि सीमा पर शांति थी। बल्कि, मनमोहन सरकार की लचर नीति के कारण सेना विवश थी। यह सब यूपीए सरकार के कमजोर नेतृत्व के कारण हुआ। आज परिस्थिति बदली है। राहुल गांधी को यही बात समझ नहीं आती।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने नीति बदली है कि हम वार्ता के लिए हमेशा तैयार रहेंगे, लेकिन जमीन पर दृढ रहेंगे। बातचीत के जरिए मसला सुलझाने का यह मतलब नहीं कि कोई हमारी एक इंच भूमि पर भी अतिक्रमण कर ले और हमारे सैनिक मौन रहें। 2017 में भारत ने इस दृढता का परिचय डोकलाम में दिया था। वर्तमान में भारत सरकार जो कर रही है, इस दिशा में सर्वप्रथम सोचने का कार्य अटलजी ने किया था। वे मानते थे कि भारत परमाणु शक्ति बनेगा, तब ही पड़ोस में वार्ता करने में समता आएगी। शांति व संतुलन के लिए वे परमाणु शक्ति का महत्व समझते थे। आज भारत परमाणु शक्ति संपन्न है, तो इसके पीछे अटलजी की सोच है। रक्षा मामलों के अलावा भारत अर्थव्यवस्था को सुधारने में भी अटलजी का योगदान है। लोग प्राय: उनकी कविताओं की चर्चा करते हैं। लेकिन, उनका मौन भी बहुत प्रभावी होता था। कितना भी दबाव हो, वे शांत व अविचलित रहते थे।
बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए अपने रांची चुनाव का किस्सा सुनाया। वहीं, भाजपा के विधान पार्षद ई. सच्चिदानंद राय ने अटलजी को स्वप्नद्रष्टा बताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी और कहा कि 2002 में ही अटलजी ने ब्रॉडबैंड और हाईस्पीड इंटरनेट की कल्पना की थी। अगर 2004 में वे सरकार में वापस लौटते तो भारत के पास आज 5जी तकनीक होता।
अध्क्षीय संबोधन में संघ के क्षेत्र सह प्रचारक रामनवमीजी ने अटलजी को याद करते हुए संस्मरण साझा किए। इससे पूर्व कार्यक्रम का विषय प्रवर्तन चिति के प्रांत संयोजक कृष्णकांत ओझा ने किया और मंच संचालन गुरु प्रकाश ने किया। आचार्य किशोर कुणाल ने राम माधव से राम माधव से मिलकर आयोध्या में बन रहे राममंदिर को लेकर चर्चा की।