अनुग्रह नारायण कॉलेज में हुआ वेबिनार शृंखला के अंतर्गत सातवें व्याख्यानमाला का आयोजन, वायरस से बचने पर किया गया चर्चा
पटना : बिहार के पटना स्थित अनुग्रह नारायण कॉलेज आइक्यूएसी के तत्वाधान में आयोजित वेबिनार शृंखला के अंतर्गत सातवें व्याख्यानमाला का आयोजन गुरुवार को आयोजित किया गया। इस व्याख्यानमाला की मुख्य वक्ता बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग की प्रोफेसर बिंदा परांजपे थे।
भारतीय लोग स्वच्छता का ख्याल नही रखते जिस कारण महामारियों का प्रसार
प्रोफेसर ने लर्निंग फ्रॉम पास्ट एपिडेमिक्स : ए हिस्टोरिकल ओवरव्यू पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।प्रोफेसर परांजपे ने पूर्व में आए कॉलरा और प्लेग महामारी का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे यूरोप के देशों के द्वारा भारतीय तथा एशियाई देशों के सभ्यता और संस्कृति को हीनभाव से देखा जाता था। यूरोप के लोग खुद को श्रेष्ठ समझते थे तथा एशियाई देशों के लोगो को तुक्ष समझते थे। उनका मानना था कि भारतीय लोग स्वच्छता का ख्याल नही रखते जिस कारण महामारियों का प्रसार होता है।
महामारी का सिर्फ सामूहिक असर का अध्ययन प्रयाप्त नही व्यक्तिक प्रभावों का अध्ययन भी आवश्यक
इस प्रकार यूरोपियन भारतीयों से जातिगत विभेद रखते थे तथा मानते थे कि एशिया तथा भारत के लोगो मे वैज्ञानिकता का अभाव होता है।पूर्व के महामारियों का सजीव चित्रण उस समय के बिभिन्न विधाओं के कलाकारो के द्वारा किया गया है और इसके प्रसंग वर्तमान समय मे भी उतने ही प्रासांगिक है। मुख्य वक्ता ने कहा कि किसी भी महामारी का सिर्फ सामूहिक असर का अध्ययन प्रयाप्त नही है अपितु इसका व्यक्तिक प्रभावों का अध्ययन भी आवश्यक है।
महामारी के कारण समाजिक व्यवस्था काफी प्रभावित
इसके पहले वेबीनार का उद्घाटन करते हुए महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रोफेसर एसपी शाही ने कहा कि वर्तमान में महामारी के कारण समाजिक व्यवस्था काफी प्रभावित हुई है। हालांकि लोगों को एक दूसरे से सिर्फ शारीरिक दूरी बनानी चाहिए तथा समाज के कल्याण हेतु हमेशा प्रयासरत रहना चाहिए। वर्तमान समय में कोविड-19 के कारण लोगों में भय का माहौल है परंतु उचित सावधानी बरतने से हम इस भय के माहौल से निकल सकते हैं।
महामारी का सकारात्मक पहलू एक बार फिर से मुस्कुरा रही प्रकृति
वहीं विषय प्रवेश करते हुए इतिहास विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर माला सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में पूरा विश्व भारत की प्रशंसा कर रहा है। इस महामारी का सकारात्मक पहलू यह है की प्रकृति एक बार फिर से मुस्कुरा रही है, गंगा का पानी शुद्ध हो रहा है इससे यह प्रतीत होता है कि हम प्रकृति का दोहन कर रहे थे। कार्यक्रम का संचालन आइक्यूएसी की ज्वाइंट कोऑर्डिनेटर डॉ रत्ना अमृत ने किया धन्यवाद ज्ञापन आइक्यूएसी के समन्वयक डॉ अरुण कुमार के द्वारा किया गया।
इस अवसर पर महाविद्यालय के बरसर प्रोफेसर अजय कुमार , प्रो. तृप्ति गंगवार , प्रो. प्रीति सिन्हा ,डॉ नूपुर बोस समेत महाविद्यालय के कई शिक्षक तथा देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के शिक्षक तथा छात्र उपस्थित रहे।