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अधिकारों की मांग को लेकर टाना भक्तों ने किया रेल ट्रैक जाम

झारखंड : टाना भगतों के द्वारा धनबाद रेल मंडल अंतर्गत बरकाकाना-डालटनगंज रेलखंड के टोरी रेलवे स्टेशन के समीप अप और डाउन रेल पटरियों को पिछले 14 घंटों से जाम कर दिया गया है। अब भी टाना भगतों का समूह रेल पटरी पर बैठा हुआ है। इसके कारण रेलखंड पर रेल परिचालन पूरी तरह से बाधित है। डाल्टनगंज रेलवे स्टेशन पर राजधानी एक्सप्रेस भी खड़ी है।

पिछले 14 घंटों से रेल और सड़क परिचालन पूरी तरह ठप

मालूम हो कि पूरे देश में कोरोना को लेकर विशेष यात्री ट्रेनों का ही परिचालन किया जा रहा है इसके साथ मालगाड़ी का भी परिचालन किया जा रहा है जो पिछले 14 घंटों से पूरी तरह से ठप है। भूमि पट्टा, टाना पेंशन, छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट में मिले अधिकारों को लागू करने समेत अन्य मांगों को लेकर सैंकड़ों टाना भगत चंदवा के टोरी में विरोध प्रदर्शन कर रहें हैं।लातेहार, चतरा, गुमला, लोहरदगा, पलामू, रांची, सिंहभूम जिले के टाना भगत शाम सवा पांच बजे टोरी में रेलवे ट्रैक पर बैठ विरोध प्रदर्शन करने में लगे हैं। इन्होंने चंदवा थाना के सामने एनएच 22 को भी जाम कर दिया है।

झारखंड मुक्ति मोर्चा द्वारा नहीं किया जा रहा है इनके मांगों पर विचार

गांधी के सच्चे अनुयायी बोले जाने वाले टाना भगतों ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा उनकी मांगों पर विचार नहीं कर रही हैlउनके द्वारा उनके विचारों को दबाया जा रहा है। टाना भक्तों ने कहा कि विचार व्यक्त करने की उनकी आजादी को कोई नहीं छीन सकता।

जानकारी हो कि दिन भर पुलिस और टाना भगतों के बीच बातचीत चलती रही और इसी बीच संध्या साढ़े पांच बजे थाना परिसर में वार्ता के बीच ही टाना भगत सुरक्षा घेरे को तोड़कर जुलूस की शक्ल में मुख्य बाजार होते बरकाकाना-बरवाडीह रेलखंड स्थित टोरी जंक्शन के समपार फाटक 12 एटी पहुंच गए और रेल लाइन को जाम कर आवागमन ठप कर दिया। रेलवे पुलिस और टाना भगत के बीच धक्का-मुक्की भी हुई।

सरकार की उदासीनता के कारण इस वर्ग को सड़कों पर उतरना पड़ा

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि टाना भगतो के द्वारा अपनी मांगों के विषय पर पूर्व सूचना दिए जाने के बावजूद सरकार की उदासीनता के कारण आज इस वर्ग को सड़कों पर उतरना पड़ा। प्रशासन द्वारा इन्हें हिरासत में लिया गया जो कि बहुत ही निंदनीय है।

इनके द्वारा सूचना दिए जाने के बावजूद सरकार का कोई प्रतिनिधि या प्रशासन का कोई बड़ा अधिकारी वार्ता के लिए नहीं आया जो कि इस पूरे सरकार का इस देशभक्त आदिवासी समुदाय के प्रति रवैया दिखाता है।

प्रतुल ने कहा की यह वाकया हेमंत सोरेन सरकार की असलियत दिखाता है कि वह आदिवासी मूलवासी के हितैषी होने का सिर्फ दम्भ भरती है जबकि असलियत इसके उलट है। प्रतुल ने कहा की जब देश भक्त टाना भगतों को सड़क पर उतरना पड़े तो यह स्पष्ट हो जाता है कि इस सरकार में मर्म नाम की कोई चीज नहीं बची है।