शिवाजी की जीवनी हमें वीरता व आत्मसमान का बोध कराता है-:ऋषि नाथ शाहदेव
रांची : कोरोना वायरस के साथ जीवन मे बहुत बदलाव आ गया है।आज तक हमलोग प्रकृति के संदेशों को हम अनदेखा कर रहे थे परंतु इस वायरस के कारण प्रकृति ने पूरे विश्व को एक संदेश देने का काम किया कि सचमुच प्रकृति की सुंदरता अद्भुत है।
इसके साथ ही देश के प्रधानमंत्री ने इस वायरस से बचने के लिए कई बड़े फैसले लिए। इसके साथ ही वर्तमान में भारत के नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के दूसरे कार्यकाल का पहली वर्षगांठ भी मनाया गया।
शिवजी साहस के प्रतीक स्तम्भ
छत्रपति शिवाजी साहस के प्रतीक स्तम्भ थे। हिन्दू साम्राज्य दिवस शिवाजी के राज्याभिषेक भारतीय इतिहास का स्वर्णिम मोड़ है। भारत में वैभव का नहीं बल्कि त्याग का ही हमेशा पूजा होती रही है। जिन्होंने देश के लिए अपना जीवन बलिदान किया उन्हें हमेशा देश ने पूजा है और सराहा है।
शिवाजी ने हिला दी मुगल सल्तनत की नींव
छत्रपति शिवाजी के जन्मकालखण्ड में हिन्दू समाज की स्थिति अत्यंत दयनीय थी और आठ मुस्लिम सल्तनत चल रहा था। हिन्दू समाज में हीनता की भावना थी। बीते हजारों सालों में गुलामी से लड़े और शहीद हुए। विषम परिस्थिति में समाज गुजर रहा था। लेकिन छत्रपति शिवाजी ने अकेले अपने दम पर पूरे मुगल सल्तनत की नींव हिला दी। शिवाजी ने अपने जीवनकाल में 276 युद्ध लड़े और कभी पराजय का सामना शिवाजी ने नहीं किया।
शिवाजी युद्ध सिर्फ लड़ने के लिए नहीं करते थे बल्कि युद्ध जीतने के लिए करते थे। हमारे युवा बन्धुओं को अपने गौरवशाली इतिहास को पुनः जानना व समझना होगा। हमारे स्वर्णिम इतिहास में अनेकों शूरवीर हुए हैं जिसे इतिहास में हमें सही से बताया ही गया ही नहीं।
शिवाजी के जीवन से वीरता का बोध
शिवाजी की जीवनी में इतना कुछ भरा पड़ा है अगर हम कुछ अंश भी ग्रहण करें तो जीवन मे वीरता का बोध होगा। अफजल खान ने धूर्तता से शिवाजी को मारने की तैयारी थी लेकिन शिवाजी को इसका भान हो गया।
शिवाजी के सारी योजनाएं पूर्व नियोजित और योजनाबद्ध तरीके से व्यू रचना का आज भी युद्ध कला के निपुणता को सभी प्रशंसा करते हैं। औरंगजेब के ससुर साहिस्ता खान के सैनिक भरे कीलें में घुसकर अपनी वीरता का परिचय दिया और साहिस्ता खान पर अंधेरे में भी हमला करके सुरक्षित किले से निकल गए।
शिवाजी की असल शक्ति उनके जनता
औरंगजेब ने साजिशन जय सिंह को शिवाजी के पीछे लगा दिया और शिवाजी पर दिलेर खान के साथ मिलकर हमला किया। छत्रपति शिवाजी की असल शक्ति उनके जनता में थी ये बातें जय सिंह व दिलेर खान को पता नहीं था।
शिवाजी बहुत ही अक्लमंद,चालक थे। मिर्जा जय सिंह को मार्मिक पत्र लिखकर बताया, आप अकेले आते तो हम स्वयं ही अपना सर धड़ से काटकर आपको समर्पित कर देता लेकिन आप जिस खूनी,खूंखार के साथ आयें हैं तो इसमें बात नहीं बनेगी।
अपनी बुद्धिमत्ता से औरंगजेब के कैद से सुरक्षित निकले शिवाजी
सबकुछ जानते हुए भी शिवाजी औरंगजेब के दरबार मे गयें। शिवाजी को बहुत बेइज्जती हुई। औरंगजेब के दरबार मे शिवाजी ने ललकारा था और इसके बाद एक योजना के तहत कैद कर लिया गया। औरंगजेब ने शिवाजी को छल से मारने की योजना थी और इसका भी भान शिवाजी को हो गया। तभी शिवाजी ने बीमार होने के बहाना बनाकर मिठाई के बड़े डब्बे में खुदको बंद कर औरंगजेब के कैद से सुरक्षित निकल गए।
शिवाजी अपने पूरे कार्यकाल में जनता के प्रति समर्पित
शिवाजी अपने पूरे कार्यकाल में जनता के प्रति समर्पित थे। जनता के हर सुख दुख के साथी थे। आत्मविश्वास व गौरव गाथा के प्रतीक थे छत्रपति शिवाजी। हम अपने पर्वजों,महापुरुषों व गौरवशाली अतीत को पढ़ें तो हमे बहुत कुछ जानने को मिलेगा जो हमसे छुपाया गया है।