पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार की राजनीति के हाॅट केक बन गये हैं। उनको राजद, कांग्रेस तथा भाजपा छोड़ना नहीं चाहती। यही कारण है कि आज जैसे ही वैशाली में गृह मंत्री अमित शाह ने गठबंधन अटूट का नारा दिया, वैसे ही तालियां जोर से बजने लगी।
गृह मंत्री की सभा में भाजपा के सभी ताकतवर नेता तो थे ही एनडीए समर्थित कार्यकर्ता भी मौजूद थे। दिलचस्प तो यह है कि बिहार में एनआरसी का विरोध जदयू ने किया है और सीएए पर चर्चा की बात भी कही है। उधर, भाजपा की झोली में अगर धारा 370 है तो सीएए और प्रस्तावित एनआरसी भी है।
अमित शाह के बयान के बाद चर्चाएं तेज
बिहार में सीएए को लेकर साफ तौर पर दो धाराएं दिखने लगीं हैं। पक्ष और विपक्ष। ऐसे में जदयू की चुप्पी और प्रशांत किशोर के बयान ने भाजपा को दबाव में ला दिया है। इसी दबाव का कारण है कि पार्टी में विधायकों द्वारा भाजपा मुख्यमंत्री का नाम लिया जा रहा है तो अमित शाह नीतीश की तारीफ करते हुए एनडीए अटूट का नारा दे रहे हैं।
बता दें कि राजद के वरिष्ठ नेता व पूर्व केन्द्रीय मंत्री रधुवंश प्रसाद सिंह ने कल ही कहा था कि अगर नीतीश कुमार भाजपा छोड़ कर महागठबंधन में आ जाएं तो उनका स्वागत है। रघुवंश बाबू ने झारखंड में महागठबंधन की जीत का समीकरण समझाते हुए कहा कि जब एनडीए वहां अलग-अलग लड़ी तो चारों खाने चित हो गई। सरकार महागठबंधन की बनी। उन्होंने नीतीश कुमार को सलाह देते हुए कहा कि वे महागठबंधन में आ जाएं। राजनीतिक गलियारे में आज अमित शाह के बयान की चर्चा के साथ यह बात भी व्याप्त रही कि नीतीश कुमार बिहार पाॅलिटिक्स के हाॅट केक बन गये हैं।