स्वच्छता अभियान को मजबूती देने का बीड़ा आज की पीढ़ी उठाए हुए है
पटना : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अरविन्द कुमार सिंह ने कहा कि अभी तक सरकार बनाने के लिए सरकारें चलाई जाती थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश बनाने के लिए सरकार चला रहे हैं। स्वच्छता अभियान को मजबूती देने का बीड़ा आज की पीढ़ी उठाए हुए है। टॉफी के रैपर अब जमीन पर नहीं फेंके जाते, बल्कि पॉकेट में रखे जाते हैं।
छोटे-छोटे बच्चे अब बड़ों को टोकते हैं कि गंदगी मत करिए। लोगों में भी अब स्पर्धा है कि स्वच्छ भारत रैंकिंग में उनका शहर होना चाहिए। 2014 में देशवासियों ने भारत को खुले में शौच से मुक्त करने का संकल्प लिया था। 10 करोड़ से ज्यादा शौचालयों के निर्माण के साथ ये संकल्प पूरा हुआ।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अब स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 का लक्ष्य है, कचरे के ढेर से पूरी तरह मुक्त शहर बनाना है। अमृत मिशन इसमें देशवासियों की और मदद करेगा। और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपनों को साकार करेगा। भारत प्रतिदिन लगभग 1 लाख टन कचरे का प्रसंस्करण कर रहा है। 2014 में, स्वच्छ भारत मिशन शुरू करने से पहले, हम केवल 20% कचरे का प्रसंस्करण कर रहे थे जो हम पैदा कर रहे थे। आज यह संख्या लगभग 70% है। मोदी सरकार भविष्य में 100% तक पहुंचने का लक्ष्य रखा हैं।
अरविन्द ने कहा कि 2014 से पहले 7 साल में सिर्फ 1.25 लाख करोड़ रुपए शहरी विकास के लिए आवंटित किए गए थे। इस बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 से लगभग 4 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। यह निवेश स्वच्छता, कचरा प्रबंधन और शहरी गरीबों के लिए घरों सहित अन्य कार्यों पर किया गया है। लगभग 2 लाख गांवों ने अपनी खुद की कचरा निपटान प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और 40,000 से अधिक ग्राम पंचायतें सिंगल यूज प्लास्टिक को खत्म कर रही हैं। खादी और स्थानीय हस्तशिल्प की बिक्री भी बढ़ी है, जिससे साबित होता है कि भारत आत्मनिर्भर भारत के मिशन की ओर बढ़ रहा है।
अरविन्द ने कहा कि मोदी सरकार के ‘जल जीवन मिशन’ के तहत देश के कोने-कोने तक नल से शुद्ध जल पहुंचाने के अपने लक्ष्य की ओर तीव्र गति से आगे बढ़ रही है। अब तक देश के 8.24 करोड़ ग्रामीण परिवारों (42.83 फीसदी) को नल से शुद्ध जल मिलना शुरू हो गया है। कोविड-19 महामारी के बावजूद मोदी सरकार ने पिछले 2 वर्षों में 5 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को नल से शुद्ध जल कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। अब तक 8.24 करोड़ (42 प्रतिशत) ग्रामीण परिवारों को शुद्ध जल की आपूर्ति की जा रही है। इसे ही कहते हैं सबका साथ सबका विश्वास और सब का प्रयास तब सबका विकास।