बिहार के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति राज्यपाल होते हैं। लेकिन, जनअवधारणा यह रही है कि राज्यपाल शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए अपनी ओर से कोई पहल नहीं करते। राजभवन एक अलंकरण केंद्र है, जिसकी विश्वविद्यालयी शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका विरले ही होती है। राजभवन के बारे में यह जनअवधारणा अब बदलने लगी है। बिहार में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में आयी जड़ता को तोड़ने के लिए लालजी टंडन ने सार्थक प्रयत्न शुरू किए हैं
राज्यपाल की प्रेरणा से शुरू हुए इस अभियान के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। इस अर्थ में बिहार का राजभवन शिक्षा क्रांति के प्रेरणा केंद्र की भूमिका निर्वहन कर रहा है।
राजभवन के विशेष प्रयास के कारण विश्वविद्यालयों में विगत छह माह में कई सुधार दृष्टिगोचर हुए हैं। राज्यपाल ने कुलपतियों की विशेष बैठक में स्पष्ट निर्देश दिया था कि ‘अकादमिक और परीक्षा कैलेण्डर’ निश्चित तौर पर लागू हो। समय पर नामांकन, वर्ग-संचालन, परीक्षा आयोजन, परीक्षाफल-प्रकाशन के साथ ही ‘दीक्षांत समारोह’ को भी अनिवार्य किया गया है। शिक्षा को सामाजिक जिम्मेदारी बोध, सांस्कृतिक चेतना व राष्ट्रीयता से जोड़ने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम करने के लिए उच्च शैक्षणिक संस्थानों को प्रेरित किया जा रहा है।
राज्यपाल लालजी टंडन का स्पष्ट विचार है कि एक जीवंत संस्थान ही छात्रों के भविष्य निर्माण के साथ-साथ समाज व राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका का निर्वहन कर सकता है। किसी भी शिक्षण संस्थान में जीवंतता तभी आ सकती है जब वहां छात्र-छात्राएं व शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित होती है। शत-प्रतिशत उपस्थिति के बाद ही शैक्षिक संस्थानों को जीवंत बनाने के प्रयास सफल हो सकते हैं। इसके लिए बिहार के महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों में बायोमेट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था सुनिश्चित की गयी। यह व्यवस्था लागू होते हैं शैक्षिक संस्थानों का माहौल बदलने लगा है।
राज्यपाल ने यह अनुभव किया था कि बिहार के शिक्षण संस्थानों में वह जीवंतता नहीं है, जिसके बल पर किसी महान समाज व राष्ट्र का निर्माण होता है। जीवंतता लाने व बहुत दिनों से घर कर गयी जड़ता को समाप्त करने के लिए राजभवन अब एक सशक्त अभिभावक की भूमिका में है। शैक्षणिक संस्थानों की जायज समस्याओं के समाधान के लिए सकारात्मक पहल की जा रही, वहीं शिथिलता और लापरवाही पर कठोर दंड की भी बातें सामने आने लगी है। राज्यपाल ने अनियमितता पर नियंत्रण के लिए कठोर कदम उठाये हैं और परिणामस्वरूप मगध विश्वविद्यालय के कुलपति के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करते हुए उन्हें पदमुक्त कर दिया गया है। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के क्रियाकलापों में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के उद््देश्य से स्पष्ट संकेत दिया है कि अनुशासनहीनता, कार्य में शिथिलता और स्वेच्छाचारिता अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उपेक्षा व लापरवाही के कारण विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय परिसरों में गंदगी व अतिक्रमण का साम्राज्य था। ‘स्वच्छता-अभियान’ चलाते हुए ‘हर परिसर, हरा परिसर’ की योजना कार्यान्वित कराने की पहल की गई। अब शैक्षिक संस्थानों का परिसर लोगों को आकर्षित करने लगा हे। बिहार के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है। इस सच्चाई को राजभवन ने स्वीकार किया और समस्या के शीघ्र समाधान के लिए पहल की। इसके तहत अतिथि प्राध्यापकों की बहाली शुरू हुई। अतिथि प्राध्यापकों के चयन में मानकों का खयाल रखने का निर्देश दिया गया।
बिहार के विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों का भवन सुसज्जित एवं परिसर संसाधनों से युक्त हो इसके लिए उन्हें ‘नैक प्रत्ययन’ के लिए अपेक्षित तैयारी करने को प्रेरित किया गया। राज्यपाल की पहल पर राज्य सरकार संस्थानों को पर्याप्त धन उपलब्ध करा रही है।
नामांकन से लेकर दीक्षांत समारोह तक की अकादमिक गतिविधियों को एक सूत्र में पीरो कर अपेक्षित परिणाम में बदलने की यह समग्र दृष्टि यदि योजना रूप में व्यवहार में उतर जाए तो बिहार के छात्रों का पलायन रूक जाएगा।
राजभवन की ओर से बिहार के उच्च शैक्षिक संस्थानों में छात्रों की अत्यंत कम उपस्थिति के कारणों का अध्ययन कराया गया था। जिससे यह जानकारी मिली थी कई विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों में शौचालय की व्यवस्था नहीं है। किसी महाविद्यालय में शौचालय का निर्माण तो करा दिया गया। लेकिन, वह उपयोग लायक नहीं है। वहीं कालेजों में छात्र-छात्राओं के लिए काॅमन-रूम की भी व्यवस्था नहीं है। राज्यपाल ने इस समस्याओं को गंभीरता से लिया और सभी विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में उपयोग लायक शौचालय की व्यवस्था कराने का निर्देश दिया। यदि ऐसा नहीं होता तो इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी दंड के भागी होंगे। राज्यपाल ने शैक्षिक संस्थानों द्वारा आयोजित समारोहों में कई बार इसका जिक्र भी किया है। सभी महाविद्यालयों में प्रत्येक माह ‘स्वच्छता दिवस’ मनाने का निर्देश दिया गया है। अब इसमें कुलपति, प्रति-कुलपति, प्राचार्य, आदि वरीय पदाधिकारियों को भी भाग लेने हेतु निदेशित किया गया है। इसके बेहतर नतीजे दिख रहे हैं। ‘‘हर परिसर हरा परिसर’’ योजना के तहत पौधारोपण कार्यक्रम अधिकाधिक रूप से संचालित करने का निदेश विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों को दिया गया था।
राज्यपाल लालजी टंडन ने दीक्षांत समारोह के लिए नई परिधान व्यवस्था शुरू की है। इसके तहत विश्वविद्यालयों द्वारा आयोजित दीक्षांत समारोह में प्रमाणपत्र लेने और देने वाले भारतीय संस्कृति के अनुरूप परिधान में होंगे। यह परिधान राज्य की सांस्कृतिक विविधतामूलक प्रकृति को भी प्रदर्शित करने वाले हो।
राजभवन का मानना है कि समाज मंे हो रहे बदलाव को उच्च शिक्षा में समाहित किया जाना चाहिए। अतः उच्च शिक्षा में युगानुकूल परिवर्तन को समाहित करना आवश्यक है। इस काम के लिए अकादमिक जगत के तज्ञ लोगों के साथ विमर्श व उसके लिए अनुकूल अकादमिक माहौल बनाना आवश्यक है। उच्च शिक्षा के लिए ब्लू प्रिन्ट तैयार करने के लिए राज्यपाल की प्रेरणा से राजभवन में ही दो दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन किया गया। राज्य में विश्वविद्यालयीय शिक्षा के विकास हेतु ‘ब्लूप्रिन्ट’ तैयार करने के लिए पटना विश्वविद्यालय के संयोजन में 4 एवं 5 फरवरी 2019 को राजभवन में परिसंवाद हुआ। इस परिसंवाद में विशेषज्ञों के साथ ही बिहार के सभी महाविद्यालयों के प्राचार्यों को भी शामिल किया गया। इस परिसंवाद की अनुशंसाओं का उपयोग बिहार में उच्च शिक्षा के विकास के लिए किया जाएगा। विश्वविद्यालयों में शिक्षा में गुणात्मक सुधार एवं विकास हेतु प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण तैयार करने के उद्येश्य से इस वर्ष से विभिन्न प्रक्षेत्रों में ‘चांसलर अवाॅर्ड’ दिये जाने की अनूठी पहल की घोषणा की गयी है। विश्वविद्यालयों में शोधपरक शिक्षा के विकास हेतु ठोस कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि बिहार नवाचार के क्षेत्र मंे अपनी भूमिका अदा कर सके। प्रत्येक विश्वविद्यालय के एक महाविद्यालय को ‘सेन्टर आॅफ एक्सलेंस’ के रूप में विकसित करने का लक्ष्य दिया गया है। प्रत्येक विश्वविद्यालय में एक सह-शिक्षा वाले महाविद्यालय तथा एक महिला महाविद्यालय को चिन्हित कर ‘सेन्टर आॅफ एक्सलेंस’ के रूप में विकसित किया जायेगा, ताकि राज्य में ही विद्यार्थियों को आधुनिक आदर्श मानकों के अनुरूप गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो सके। इसके साथ ही प्रत्येक विश्वविद्यालय में रोजगारपरक व्यावसायिक पाठ््यक्रमों का कार्यान्वयन भी सुनिश्चित कराया जाएगा, ताकि शिक्षा पूरी कर डिग्री हासिल करने के बाद विद्यार्थी सीधे रोजगार प्राप्त कर अर्थोपार्जन के योग्य बन सकें।
राजभवन में पहली बार ‘संविधान दिवस’ का आयोजन
राज्यपाल लालजी टंडन के निदेश पर राजभवन में पहली बार 26 नवम्बर, 2018 को ‘संविधान दिवस’ के अवसर पर विशेष समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिश के साथ सभी न्यायाधीश उपस्थित हुए। कार्यक्रम में महामहिम राज्यपाल द्वारा ‘स्मृति-चिन्ह’ देकर सभी न्यायाधीशों को सम्मानित भी किया गया।
पत्रिका का प्रकाशन- विश्वविद्यालय एवं राजभवन की गतिविधियों को समाहित करते हुए ‘राजभवन संवाद’ नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया गया है। इस पत्रिका का प्रकाशन जून, 2018 से लगातार हो रही है। जनवरी, 2019 से इस पत्रिका का अंग्रेजी अनुवाद भी छप रहा है। राजभवन सेमिनार, संगोष्ठी, जैसी गतिविधियों के माध्यम से बिहार में उच्च शिक्षा के लिए अनुकूल माध्यम बना रहा है। महात्मा गाँधी के 150वें जयन्ती वर्ष के अवसर पर राजभवन में ‘गाँधीवाद’ पर राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया था, जिसमें ख्यातिप्राप्त गाँधीवादी चिन्तक शामिल हुए थे। राजभवन में पहली बार विगत ‘गांधी जयन्ती’ की पूर्व संध्या पर उनके प्रिय भजनों एवं सूफी भजनों का गायन कार्यक्रम आयोजित हुआ था।
सामाजिक जिम्मेदारी निर्वहन का माडल देने के लिए राजभवन परिसर में राज्यपाल द्वारा ‘विशेष स्वच्छता और सौन्दर्यीकरण अभियान’ का शुभारंभ किया गया था, जिससे स्वच्छता और पर्यावरण-सजगता का संदेश जन-जन तक पहुँचे। राजभवन की लोकोन्मुखता बढ़ाने के उद््देश्य से विगत 13-14 फरवरी, 2019 को राजभवन में बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के तत्त्वावधान में एक ‘उद्यान प्रदर्शनी’ आयोजित हुई, जिसमें फल, फूल, सब्जी एवं सुगंधित पौधा-उत्पादक लगभग 500 किसानों को आमंत्रित किया गया है। उत्कृष्ट प्रदर्शन करनेवाले कृषकों को पुरस्कृत भी किया गया। राजभवन में जनवरी को शहीदों की 53 वीर नारियों को सम्मानित करने के लिए ‘विशेष समारोह’ आयोजित किया गया। प्रत्येक वीर नारी को 51 हजार रूपये एवं प्रमाण-पत्र प्रदान किये गये। राजभवन में इस वर्ष ‘धन्वंतरि उद्यान’ स्थापित करते हुए आयुर्वेदिक पौधे लगाये जाएँगे तथा ग्रह-नक्षत्रों के अनुरूप पौधे लगाते हुए ‘नक्षत्र वाटिका’ की स्थापना की जायेगी।
राज्यपाल श्रीलालजी टंडन ने अपने कार्यकाल के शुरूआती छः महीने में ही इस बात का संकेत दे दिया है कि वे बिहार में उच्च शिक्षा के विकास-प्रयासों को अंजाम तक पहुंचाने में थोड़ी भी शिथिलता बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं। उनके विद्वतापूर्ण और उत्साहवर्द्धक संबोधनों से विश्वविद्यालय प्रशासन और राज्यपाल सचिवालय का जहां मनोबल बढ़ा है। वहीं दूसरी ओर उनके सुदीर्घ सामाजिक-राजनीतिक अनुभवों से परिपक्व नेतृत्व ने राज्य में उच्च शिक्षा के सर्वतोन्मुखी विकास की संभावनाओं को पूरी तरह जगा दिया है। उच्च शिक्षा-जगत्् में हो रहे इन सकारात्मक परिवत्र्तनों को लेकर सभी आशान्वित हैं। आगे की यात्रा में हमारे दृढ़ संकल्प, सबके सहयोग-भाव और सर्वाधिक रूप से युवा विद्यार्थियों और शिक्षकों के इस पूरे बदलाव को मिल रहे उत्साहपूर्ण समर्थन -हमारी सफलता के पथ को प्रशस्त कर रहे हैं। हम आज यह कह सकने की स्थिति में हैं कि-
‘‘इस पथ का उद्देश्य नहीं है
श्रान्त भवन में टिक जाना
किन्तु पहुँचना उस सीमा तक
जिसके आगे राह नहीं है।।’’
-(जयशंकर प्रसाद)