‘ड्रीम गर्ल’ का आधार एक दिलचस्प शुरुआत है
साल की बहुप्रतीक्षित फ़िल्म ड्रीमगर्ल इस शुक्रवार को सिनेमाघरों में लग चुकी है, फ़िल्म में आयुष्मान पूजा का किरदार निभा रहे हैं, जो कि काफी मजेदार है।
फ़िल्म की कहानी करमवीर (आयुष्मान) की है, जो लड़की की आवाज निकालता है और शहर में होने वाले रामलीला में सीता का किरदार निभाता है।
नौकरी की तलाश में भटकते करम को एक दिन बस में एक एड दिखता है और वो नौकरी के लिए पहुँच जाता है, जहाँ उसे एक गुप्त फ्रेंडशिप कॉल सेंटर में पूजा बना दिया जाता है, और वो उस कॉल सेंटर की जान बन जाती है। इसी बीच करम की मुलाक़ात माही (नुसरत) से होती है, और पूजा के आशिक़ों की संख्या बढ़ते जाती है, जिसमे माही का भाई, और करम के पिताजी भी होते है, फिर शुरू होता है फ़िल्म में ठहाकों का सिलसिला जो रुकने का नाम ही नही लेता।
फ़िल्म में अनु कपूर और विजय राज ने हमेशा की तरह कमाल का अभिनय किया है।
‘ड्रीम गर्ल’ का आधार एक दिलचस्प शुरुआत है। हालांकि, निर्देशक राज शांडिल्य इस परिस्थितिजन्य कॉमेडी में हंसी की कुछ मात्रा को विकसित करने का प्रबंधन करते हैं। लेकिन हास्य की एक समस्या यह भी है जो विचित्र और कई बार आक्रामक क्षेत्र में बदल जाती है। विभिन्न पात्रों और स्थितियों में टकराव होने के कारण, पटकथा असमान गति से चलती है। ‘राधे राधे, इक मुलाक़ात और, दिल का टेलीफोन’ गीतों में कुछ कश्मकश की कूबड़ है।
आज कल के समय मे लोग घर के बाहर प्यार ढूंढ़ते है, और इस चीज़ को फ़िल्म में बेहतरीन तरीके से दिखाया गया है।
‘ड्रीम गर्ल’ एक शुद्ध कॉमेडी के रूप में तैनात है, इसलिए किसी की कामुकता को पार करने की किसी भी बारीक जांच की उम्मीद न करें। शायद, आयुष्मान खुराना की हिट फिल्मों में एक और नाम जुड़ने की उम्मीद है।
गर ट्रेंड से हटकर कुछ देखना है, तो ये मूवी आपके लिए ही है।
स्वत्व रेटिंग 3.5/5
प्रेम कुमार पोद्दार