पटना : देशी चिकित्सा को लोगों तक पहुंचाने के लिए आयुष चिकित्सा पद्धति को जानना बहुत जरुरी है। लोग एलोपैथी का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं, लेकिन देशी (आयुष) चिकित्सा पद्धति की विशेषता जिस दिन लोगों को समझ मे आएगी उस समय से लोग इसे ही अपनाना पसंद करेंगे। जरूरत है ज्यादा से ज्यादा इसके प्रचार प्रसार की। सरकार की उदासीनता, शिक्षा व्यवस्था और चिकित्सकों की बेरुखी के चलते आज भी यह हालात बनी हुई है। वैद्यनाथ आयुर्वेदिक भवन के प्रधान चिकित्सक डॉ अशोक कुमार सिंह ने उक्त बातें कहीं।
युवा आयुष पीजी और नस्या बिहार ने मिलकर इस कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य शिविर में आये लोगों को देशी चिकित्सा की जानकारी देना था। मनुष्य का दिनचर्या कैसा होना चाहिए तथा भोजन आदि के बारे में भी लोगों को यहां विस्तार से समझाया गया।
डॉ पवन ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य लोगों को देशी चिकित्सा के बारे मे बताना है। हम किसी भी पैथी के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन हमारी जो देसी चिकित्सा पद्धति है उसके फायदे के बारे मे लोगों को बताना और समझना भी हमारा फ़र्ज़ है। उन्होंने कहा कि देसी चिकित्सा पद्धति हजारों साल पुरानी है और पूरी तरह से वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित है।
डॉ अशोक कुमार सिंह ने कहा कि भारत सरकार और बिहार सरकार भी देसी चिकित्सा का महत्व समझने लगी है। लेकिन जिस तरह की तत्परता सरकार को दिखानी चाहिए उसका साफ-साफ अभाव दिखाई देता है। आज का यह शिविर डॉक्टरों के आपसी सहयोग से संभव हो सका है। आज के कार्यक्रम में जितने भी लोग आ रहे हैं उन्हें मुफ्त सलाह और मुफ्त दवाई भी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि रोज़मर्रा के जीवन मे हम जिन्हें इस्तेमाल करते हैं, उनमें बहुत सारे औषधीय गुण भी होते हैं। लेकिन जानकारी के अभाव में लोग इसे प्रयोग न करके एलोपैथी दवाइयों का सेवन करते हैं। सबसे बड़ी बात है कि एलोपैथी के मुकाबले कम पैसे में देशी पद्धति से इलाज संभव है। उन्होंने कहा कि देसी चिकित्सा की सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें कोई नुकसान या साइड इफेक्ट की संभावना न के बराबर होती है। वहीं डॉ रमन ने कहा कि जब तक विदेश से कोई चीज़ सर्टिफाइड नहीं होती है तब तक देश मे उसकी पूछ नहीं होती है।
(मानस द्विवेदी)