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ऐसी मैपिंग के आधार पर कैसे स्मार्ट बनेगा पटना?

पटना : बिहार की राजधानी पटना को स्मार्ट बनाने की कवायद शुरू तो हो चुकी है, पर इस प्रक्रिया में कर्मियों को बहुत पापड़ बेलने पड़ रहे हैं। उसका एक सबसे बड़ा कारण है पटना शहर की बेतरतीब मैपिंग। कभी पाटलिपुत्र और कुसुमपुर के नाम से जाना जाने वाला पटना गंगा तट पर बसे मगध साम्राज्य की राजधानी होने का गौरव रखता था। लेकिन आज, सीमित संसाधनों और छोटे भूभाग में बड़ी जनसंख्या के बोझ से शहर पर दबाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में पटना नगर निगम और शहरी विकास मंत्रालय के कंधों पर पटना को स्मार्ट बनाने की बहुत बड़ी चुनौती है।

सांस्कृतिक गौरव के साथ स्मार्ट बनाने की चुनौती

पाटलिपुत्र सांस्कृतिक रूप से जितना परिपक्व है, उसकी समस्याएं भी उतनी ही विकास में बाधक। शहर में अवैध अतिक्रमण, संकरी गलियां और सड़कें, बेतरतीब बिछी हुई सीवर लाइनें, पटना को एक स्मार्ट लुक देने में अवरोधक बनी हुई हैं। इन तमाम समस्याओं के बावजूद जनवरी 2019 से ही पटना में स्मार्ट सिटी का काम शुरू हो चुका है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की पीआरओ हर्षिता बताती हैं कि पहले फेज में सभी 11 प्रोजेक्ट्स को एबीडी (एरिया बेस्ड डेवलपमेंट) के हिसाब से चुना गया है। इसके क्रियान्वयन में काफी समय लगता है और जो मूलभूत जरूरतों के लिहाज से काफी अहम है। उन्होंने बताया कि पटना स्मार्ट सिटी के तीन मुख्य स्तम्भ प्रोजेक्ट्स हैं जिन्हें बिग ट्री कहा जा रहा है-स्मार्ट सिटी रोड नेटवर्क, पटना रेलवे स्टेशन मार्केट काम्प्लेक्स और इंटीग्रेटेड कण्ट्रोल कमांड सेण्टर। स्मार्ट सिटी रोड नेटवर्क के तहत सिन्हा लाइब्रेरी रोड से लेकर बन्दर बगीचा रोड तक पहले चरण में, तो वहीँ फ्रेज़र रोड से लेकर जमाल रोड तक दूसरे चरण में, और स्टेशन रोड से लेकर एनआईटी मोड़ तक तीसरे चरण में कुल 17 किलोमीटर स्मार्ट रोड का निर्माण किया जायेगा। वहीँ पटना के रेलवे स्टेशन क्षेत्र को विकसित किये जाने की भी एक योजना है, जिसके अंतर्गत उस क्षेत्र में नगरीय बाज़ार के अलावा वेंडिंग ज़ोन, व्यापारिक क्षेत्र को भी विकसित किया जायेगा। इसके अलावा पटना स्मार्ट सिटी के तहत शहर की सुरक्षा, ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार को लेकर हर कोने में तकरीबन 3000 सीसीटीवी कैमरों से लैस किया जायेगा।

बाधाओं के बीच समाधान निकालने की कवायद

शहर में बस्तियों के पुनर्स्थापन के लिए पटना स्मार्ट सिटी ने घरौंदा से घर अभियान की शुरुआत भी की है। इसमें पटना में बसी 101 बस्तियों को घर कहे जाने लायक बनाने से लेकर उनकी तमाम छोटी जरूरतों के लिए मदद भी की जाएगी। इसके अलावा पटना नगर निगम और शहरी विकास मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय संस्था यूएन की संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या राशि इकाई से भी हाथ मिलाया है। इससे बस्तियों की आबादी को सामूहिक प्रसाधन, प्रशिक्षण और जागरूकता के अलावा जरूरतों को पूरी करने में आसानी होगी। इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकानों का निर्माण कराया जायेगा। बस्तियों की आबादी को वहां विस्थापित करने की व्यवस्था भी की जा रही है। वहीँ शहर में छोटे-मझोले व्यवसायी और दुकानदारों के लिए खासकर वेंडर्स के लिए शहर के विभिन्न क्षेत्रों में वेंडिंग जोन का निर्माण भी किया जा रहा है। वेंडिंग जोन में खाने की चीजों को प्रदूषण मुक्त बनाने से लेकर पार्किंग की सुविधा और पानी की व्यवस्था भी की जायेगी।

नागरिक सेवाओं के लिए भी पुख्ता व्यवस्था

पटना शहर में कुल 75 वार्ड हैं और स्मार्ट सिटी प्लान में उन वार्डों को भी मॉडल वार्ड बनाये जाने के लिए जनसेवा केंद्र खोलने की योजना भी बन गई है। जनसेवा केंद्र में पटना के सम्बंधित वार्ड के नागरिक तमाम कागजी प्रक्रियाओं को, चाहे जन्म प्रमाण पत्र बनवाना हो या आधार कार्ड, या फिर अन्य किसी भी तरह की जनहित से जुडी कागजी सेवाएं, इन सभी को सेवा केंद्र में बैठे अधिकारियों और वार्ड काउंसलर के माध्यम से हल किया जायेगा। कुल 80 केन्द्रों के दो तल्ले मकान के लिए 36.40 करोड़ रुपये निर्गत किये गए हैं।

एक साथ संचालित ​कई योजनाओं में तालमेल जरूरी

पटना में स्मार्ट सिटी के अलावा कई और प्रोजेक्ट्स भी साथ—साथ चल रहे हैं। जैसे पटना मेट्रो निर्माण कार्य और गैस पाइप लाइन का जाल बिछाया जाना। ऐसे में यह समस्या हो सकती है कि एक योजना दूसरी योजना के आड़े न आये। या यूं कहें कि एक ही क्षेत्र में एक समय में दो योजनाएं खेल बिगाड़ सकती हैं। पर ऐसा होगा नहीं। पटना स्मार्ट सिटी पीआरओ ने बताया कि ऐसा होने की सम्भावना बिलकुल न के बराबर है क्योंकि पटना शहरी विकास मंत्रालय ने ही पटना मेट्रो निर्माण का डीपीआर तैयार किया है। इसमें नोडल अधिकारी ने प्रोजेक्ट ओवरलैपिंग का पूरा ख्याल रखा है। पर अगर ऐसा फिर भी होता है तो उसके समाधान के लिए एक 16 सदस्यीय विभागीय समन्वय समिति भी बनाई गई है जो इन शिकायतों का निबटारा करेगी।

स्मार्ट सिटी पर इनसे लग सकता है धब्बा

पटना स्मार्ट सिटी में शहर को एक आकर्षक लुक देने की झलक भले दिखती हो पर पटना के कई इलाके इस योजना में उपेक्षित ही रह गए हैं। स्मार्ट सिटी में पटना सिटी की समस्याओं को लेकर एक ठोस योजना का आभाव दिख रहा है। पटना सिटी में अतिक्रमण की समस्या, जाम की समस्या, और संकरी सड़कों पर भारी जनसंख्या का दबाव मुख्य रूप से बनी हुई हैं। पटना स्मार्ट सिटी प्राधिकरण हो या पटना नगर निगम दोनों ही जिम्मेदार संस्थानों के पास पटना सिटी की समस्याओं को लेकर कोई योजना नहीं। इसके अलावा पटना का स्टूडेंट हब माने जाने वाले बाज़ार समिति के इलाके को भी इस योजना में कोई जगह नहीं दी गई है। बिहार के विभिन्न जिले से उच्च शिक्षा की आस में पटना के बाज़ार समिति में बसे विधार्थियों को न तो उम्मीद के अनुसार नौकरियां ही मिल पाती हैं और न ही रहने के लिए सुख-सुविधाएं। गंदगी, उबड़-खाबड़ सड़क, जलजमाव और साधन के अलावा रहने की उत्तम व्यवस्था का भी बड़ा आभाव यहां के बाशिंदों को सहन करना पड़ता है। स्मार्ट सिटी से अन्य शैक्षणिक क्षेत्रों की ही तरह इस क्षेत्र को विकसित देखने की उम्मीदें शायद अब भी अधर में ही लटकी हुई नजर आ रही हैं।

पटना स्मार्ट सिटी एक ड्रीम प्रोजेक्ट से कम नहीं

शहर को सुन्दर, स्वच्छ और सुविधा संपन्न रूप देने की इस योजना में काफी मुश्किलें हैं। पर नगर निगम और स्मार्ट सिटी प्राधिकरण इससे निबटने को तैयार है। पटना स्मार्ट सिटी के डीपीआर और प्लान को चन्द्रगुप्त इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट और आइआइटी के कुछ अनुभवी और जानकार लोगों के मार्गदर्शन में बार-बार जांच किया जा रहा है। इसके लिए इन दोनों ही संस्थाओं से करार किया गया है। पटना को स्मार्ट बनाने के लिए 44 प्रोजेक्ट्स के लिए कुल 2506 करोड़ निर्गत किये गए थे। पर कुछ प्लान पहले से नगर निगम के द्वारा या अन्य योजनाओं के द्वारा चलाये जा रहे हैं। जिसकी वजह से प्रोजेक्ट्स में कुछ बदलाव भी किये गए हैं। फिलहाल 10 योजनाओं को सूची से बाहर किया गया है और अन्य जरूरी 6 योजनाओं को जोड़ा गया है।

सत्यम दुबे