क्यों नवाजे गए शाहनवाज हुसैन

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पटना :  राष्ट्रीयता के संस्कार व बोध से ओत-प्रोत शाहनवाज हुसैन ने अपने व्यवहार से राजनीति के क्षेत्र में उदाहरण प्रस्तुत  किया है। हाल ही में कश्मीर में उन्होंने जो अभियान चलाया वह देश के लिए समर्पित राजनीति का व्यबहारिक रूप है। सेक्युलरिजम के नाम पर देश को कमजोर करने वाले प्रयासों के आगे वे डटकर खड़े रहे हैं। यही कारण है कि भाजपा व विचार परिवार में उनका एक खास स्थान है।

राजनीतिक सफर की शुरुआत

शाहनवाज हुसैन ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत भारतीय जनता युवा मोर्चा के सचिव के रूप में किया था। इसके अलावा वे दिल्ली वफ्फ बोर्ड, राष्ट्रीय शक्ति फाउंडेशन जैसे संस्था के सदस्य भी रहे हैं।शाहनवाज हुसैन ने भारतीय जनता पार्टी में अपनी राजनीतिक शुरुआत 1999 में 13 वें लोकसभा चुनाव से की थी। वे सबसे कम उम्र में केंद्रीय मंत्री बने थे। उन्होंने उस समय मानव संसाधन विकास युवा मामले और खेल, खाद्य संस्करण, उद्योग मंत्रालय का प्रभार संभाला। 2001 में उन्हें कोयला मंत्री के रूप में अलग से प्रभाव दिया गया था।

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नागरिक उड्डयन मंत्री के रूप में पदोन्नति

इसके बाद 2001 की दूसरी छमाही में नागरिक उड्डयन मंत्री के रूप में पदोन्नति मिली। 2003 में उन्हें कपड़ा मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया। हालांकि शाहनवाज 2004 में चुनाव हार गए और इसके बाद 2006 में वे भागलपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और भारी मतों से जीत दर्ज की और 15 वीं लोकसभा के सदस्य बने।

वहीं, शाहनवाज को एक बार फिर से 2014 के चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा। जिसके कारण 2019 के लोकसभा चुनाव में इन्हें पार्टी द्वारा प्रत्याशी नहीं बनाया गया। लेकिन, इसके बावजूद वे संगठन के कार्य में लगे रहे। जिसका उपहार शाहनवाज को मिला है।

सधे हुए कदमों से बिहार में एंट्री

शाहनवाज ज्यादातर दिल्ली की राजनीति में रहते थे। इनकी पत्नी का नाम रेनू है उनके दो बच्चे हैं। शाहनवाज को भाजपा ने बहुत सधे हुए कदमों से बिहार में एंट्री करवाई है। पहले बिहार विधान परिषद में एमएलसी बनाया गया, इसके बाद बिहार में उद्योग मंत्री बनाया गया।

गौरतलब हो कि नीतीश और शाहनवाज की दोस्ती अटल बिहारी वाजपेई के जमाने से चली आ रही है। बिहार के दोनों नेता को अटल जी भी बहुत पसंद किया करते थे। बिहार के लिए जाने वाले हर एक हर एक फैसले में दोनों की संयुक्त भागीदारी होती थी। ऐसे में नीतीश कुमार को सुशील मोदी के राज्यसभा जाने के बाद एक भरोसेमंद साथी की जरूरत थी, जिसकी कमी शाहनवाज हुसैन पूरा करते हुए नजर आ रहे हैं।

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