सोनिया गांधी से क्यों आशंकित हैं नीतीश, संयोजक पद पर क्या है खेल?
नयी दिल्ली : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपने मिशन—24 में एक नई चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने के मिशन ‘विपक्षी एकता’ की दूसरी बड़ी बैठक कांग्रेस शासित कर्नाटक के बेंगलुरु में होने वाली है। इसमें पटना की बैठक से भी ज्यादा, करीब 24 विपक्षी पार्टियां शिरकत करने की हामी भर चुकीं हैं। लेकिन नीतीश कुमार की दिक्कत विपक्षी एकता का संयोजक बनने में पेश आ रही अड़चन को लेकर है। इस बैठक में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी विपक्षी एकता कन्वीनर के तौर पर उनको बड़ी चुनौती देने वाली हैं।
विपक्षी एकता संयोजक पद पर खींचतान
नीतीश कुमार की बड़ी चाहत देश का पीएम बनने की रही है। यद्यपि उन्होंने सामने से इसे कभी नहीं कहा, लेकिन उनके पार्टी नेता और समर्थक हमेशा उन्हें पीएम मैटेरियल कहकर बुलाते रहे हैंं। साफ है कि नीतीश की इस अभिलासा की पूर्ति के लिए उनका संयुक्त विपक्ष का पीएम मैटेरियल स्वीकार किया जाना जरूरी है। संयुक्त विपक्ष के पीएम मैटेरियल तक की सीढ़ी संयुक्त विपक्ष के संयोजक पद से होकर ही गुजरती है। ऐसे में सर्वप्रथम नीतीश का विपक्षी एकता का कन्वीनर बनना बेहद आवश्यक है। इस दिशा में नीतीश कुमार ने पटना बैठक में काफी प्रयास किये, लेकिन कोई घोषणा नहीं हो पाई। दूसरे पटना की बैठक में देशभर से नीतीश 15 विपक्षी दलों का ही जुटान कर पाये थे। अब सबकी नजरें बेंगलुरु बैठक पर है जिसमें कोई बड़ी घोषणा हो सकती है।
नीतीश कुमार की टक्कर सोनिया गांधी से
नीतीश कुमार को असल टेंशन भी बेंगलुरू बैठक से ही हैं क्योंकि यहां कांग्रेस उनसे ज्यादा विपक्षी पार्टियों का जुटान कराने का ऐलान कर चुकी है। करीब दो दर्जन दलों ने इसमें शिरकत पर हामी भर दी है। दूसरे नीतीश को डर यह है कि कहीं इस बैठक में सोनिया गांधी को न विपक्षी एकता का संयोजक चुन लिया जाए। कांग्रेस सुत्रों ने भी इसी तरह का कुछ संकेत दिया है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी इस समय संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की संयोजक हैं और उनकी पार्टी भी विपक्षी एकता में सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर शामिल है। ऐसे में नीतीश कुमार से कहीं अधिक भारी पलड़ा सोनिया गांधी का है।
बेंगलुरु बैठक के रिजल्ट को लेकर आशंका
पटना में हुई बैठक में फैसला हुआ था कि अगली बैठक का संयोजन कांग्रेस करेगी। पटना में हुई बैठक के दौरान कई नेताओं ने इस बैठक के आयोजन के लिए नीतीश कुमार को बधाई के साथ धन्यवाद दिया था। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ‘बैठक के संयोजक’ शब्द का इस्तेमाल भी किया, हालांकि उम्मीद से उलट इस बैठक के बाद मीडिया के सामने संयोजक पद पर नाम को लेकर घोषणा नहीं की गई। ऐसे में नीतीश और उनकी पार्टी जदयू संयोजक पद पर फैसले को लेकर काफी आशंकित है।